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पूजा हेतु
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(गतांकथी आगळ...)
आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी
प्रभुनी प्रतिमा द्वारा गुणो मेळवी शकाय छे. रागीनी छबी देखीने राग उत्पन्न थाय छे. कामिनीनी छबी देखीने काम उत्पन्न थाय छे. शान्त पुरूषनी मूर्ति देखवाथी शान्त गुण उत्पन्न थाय छे. एक सामान्य उपदेशक वा साधुनी छबी देखीने तेना गुणोनुं स्मरण थाय छे तो अनन्त गुणोना धामभूत एवा परमात्मा वीतराग देवनी प्रतिमा देखवाथी तेमना गुणोनुं स्मरण थाय ए स्वाभाविक छे, अने तेमज तेमना गुणोनी प्राप्ति थइ शके तेमां कंइ आश्चर्य नथी.
प्रभु प्रतिमाने देखीने प्रभुना गुणोनुं स्मरण सहेजे थाय छे. प्रभुनी प्रतिमाने प्रभुरूप मानीने सेवा-पूजा-भक्ति-आराधना करवाथी सेवक पोताना आत्मानी उन्नति करी शके छे.
प्रतिमा पूजा दर्शन लाभ.
श्री वीतराग देवनी प्रतिमाने प्रशस्तभावथी अवलोकनारा पुण्यबंधादि प्राप्त करे छे. वीतराग देवनी प्रतिमाने देखीने जे मनुष्यो द्वेषभाव धारण करे छे तेओ पापनो बंध करे छे. वीतरागदेवनी प्रतिमाने देखी जेओ वीतरागना ज्ञानादि गुणोनुं स्मरण करे छे तेओ संवर अने निर्जरा तत्त्वने सेवी शके छे.
प्रभुनी प्रतिमामां प्रभुपणुं धारीने प्रभुना सर्व गुणोनुं स्मरण करवुं. प्रभुनी प्रतिमाने प्रभुना गुणो प्राप्त करवा माटे पूजवानी जरूर छे. प्रभुनी प्रतिमामां प्रभुनी स्थापना करीने भक्ति करवाथी समवसरणमां बेठेला प्रभुनी भक्ति जेटलुं ज अध्यवसायनी शुद्धिए फल प्राप्त थाय छे. प्रभुनी भक्तिनां अंगोनो निषेध करवानी जरूर नथी परन्तु प्रभुनी भक्तिना अंगोमां सुधारो करवानी जरूर छे.
प्रभुना गुणो जाणीने जेओ प्रभुनी प्रतिमानी पूजा सेवा भक्ति करे छे तेओ दर्शननी शुद्धि करे छे. प्रभुना गुणोनुं प्रतिमा आदि निमित्त पाम्या विना स्मरण थतुं नथी माटे प्रभु प्रतिमानी उपयोगिता सिद्ध थाय छे. लोकोनां मनरंजन करवाने माटे वा पौद्गलिक सुखनी लालसाए जेओ प्रभुनी सेवा भक्ति पूजा करे छे तेओ पूजा भक्ति सेवानुं वास्तविक फल प्राप्त करी शकता नथी.
प्रभुनी प्रतिमा प्रभु रूप छे एवो भाव धारण करी सेवक बनीने प्रभुना गुणोने
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