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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR ___April-2017 एम पूजकोए मनमा दृढ संकल्प धारण करवो. नाभिमांथी प्रगट थयेल विचार सिद्ध थाय छे, एम लोकमां कहेवत छे. हे प्रभो! आपनी नाभि अनेक गुणोनुं स्थान छे, माटे आपनी नाभिथी पूजा करीने तेवा गुणो प्राप्त करवा प्रयत्न करुं छु, एम पूजके भावना भाववी. प्रभुनुं संपूर्ण शरीर पूजवा योग्य छे. प्रभुनां नव अंग पूजवानां हेतुओ अनेक छे. तेनुं गुरूगमपूर्वक ज्ञान ग्रहण करवू जोइए. प्रभुनी प्रतिमा उपर घरेणां आंगी होय ते वखते मनमां भावना भाववी के, अहो! प्रभुए राज्यावस्थाथी सकल शोभानो त्याग करीने दीक्षा ग्रही त्यागी थयां अने हुं तो पौगलिक घरेणा-धन वगेरेनी ममतामां लीन बनी गयो छु. प्रभु राज्यावस्थामां पण अन्तरथी न्यारा रहेतां हतां, ते प्रमाणे हुं गृहस्थावासमां आजथी न्यारो रहेवा प्रयत्न करीश. पौद्गलिक वस्तुओनी ममता त्यागीश. प्रभुने न्हवरावती वखते प्रभुनां अतिशय वगेरेनुं चिंतवन करवू. तीर्थंकर प्रभु बाल्यावस्थाथी त्रिज्ञानी हतां, सम्यक्त्व धारी हतां वगेरे गुणोनुं चिंतवन करवू. प्रभुनां दरेक अंगने पूजीने गुणो ग्रहण करवानो भाव वधारवो अने गुणो ग्रहण करवा प्रयत्न करवो. प्रभुनी अष्ट प्रकारी पूजा करतां पूजाना मुख्य उद्देशोने हृदयमां धारण करवा. अमारी बनावेली अष्ट प्रकारी पूजामां द्रव्य अने भाव पूजा- सम्यग् स्वरूप दर्शाव्यु छे. जल, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य अने फलपूजा करती वखते दरेक पूजा वखते अन्तर्मी भाव जलादि पूजानी भावना भावीने तेवा गुणो अन्तर्मां प्रगटाववा प्रयत्न करवो. भिन्न भिन्न द्रव्य पूजाना भेदोथी भिन्न भिन्न आत्माना गुणो प्राप्त करवानो उद्देश हृदयमां धारण करवो जोइए. प्रभुनी प्रतिमामां प्रभुनो आरोप करीने प्रभुनु अवलंबन करीने प्रभुना जेवा गुणो पोताना आत्मामां प्रकटाववा शास्त्रोमां भक्ति सेवा वगेरेनुं कथन करवामां आव्युं छे अने ते यथायोग्य छे. अक्षर- अवलंबन करीने जेम ज्ञाननी प्राप्ति करवामां आवे छे तेम प्रभुनी प्रतिमान अवलंबन करीने सद्गणोनी प्राप्ति करी शकाय छे. प्रभुनी प्रतिमानुं आलंबन लेवाथी प्रभुनु चरित्र खरेखर हृदय पटपर खड़े करी शकाय छे. प्रभु प्रतिमाना उत्थापको सेंकडो वर्षथी प्रयत्न करे छे तो पण सनातन जैन धर्मना कोटनी एक इंट खेरववाने माटे पण जोइए तेवा तेओ समर्थ थया नथी. प्रभुनी प्रतिमाना उत्थापको गमे तेटलो प्रयत्न करे तो पण प्रतिमानी उत्थापना करवाने माटे विजयी निवडवाना नथी. साकार वस्तुना आलंबनद्वारा निराकार गुणोनी प्राप्ति करवा समर्थता प्राप्त करी शकाय छे. प्रभु प्रतिमानी आवश्यकता संबंधी लखवामां आवे तो एक महान् ग्रन्थ लखी शकाय. (वधु आवतां अंके...) For Private and Personal Use Only
SR No.525321
Book TitleShrutsagar 2017 04 Volume 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2017
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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