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SHRUTSAGAR
April -2017 ऋणी छु, तेमज कोबा(गांधीनगर)स्थित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरनां सर्वे विद्वद्वर्योनो आ तके आभार मानु छु.
ब्राह्मी लिपिने प्रकाशमां लाववानां प्रयत्नमा क्षतिओ रही गई होय, तो विद्वानो योग्य प्रतिभाव आपे तेवी आग्रहभरी नम्र विनंती.
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ऋषभ पंचाशिका ६. Ek- httld dl TAJBIA जय जंतु कप्पपायव, चंदावय रागपंकयवणस्स। AJJERUNHF RJHUF 18 1 ॥१॥ सयलमुणिगामगामणि, तिलोअचूडामणि नमो ते ॥१॥ EL TIEJIEJL} EJL{FISIITTI जय रोसजलणजलहर, कुलहर वरनाणदंसणसिरीणं । ४ाgtL5J IJE AIAFI LLI ॥२॥ मोहतिमिरोहदिणयर, नयर गुणगणाण पउराणं ॥२॥ 16 +0d BLPAN'' +SPAPLI४ दिट्ठो कह वि विहडिए, गंठिम्मि कवाडसंपुडघणंमि। ४DICIATI FIE४ ॥३॥ मोहंधयारचारयगएण दियणरुव्व तुमं
॥३॥ o'xt8FI ÉIG 4LSTILLELEI भविअकमलाण जिणरवि, तुहदंसणपहरिसूससंताणं । 60 .:. dur ४४::: ॥४॥ दढबद्धा इव विहडंति, मोहतमभमरविंदाइं JIUf E४४ लट्ठत्तणाभिमाणो, सव्वो सव्वट्टसुरविमाणस्स ।
॥४॥
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