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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 15 अप्रैल-२०१७ ॥४॥ ॥५॥ ॥६॥ ॥७॥ ॥८॥ ॥९॥ श्रुतसागर बीजा अजित अयोध्या ठांम, गज लंछण प्रणमुं अभिराम। जितशत्रु विजया राणी पुत्र, जेणे जीता सगला शत्र तीजा संभव सुखदातार, सावत्थी नयरी अवतार । पिता जितारथ सेना' माय, हय लंछण सोवनमय काय चोथो चिहुंगति भंजन साम, विनिता नयरी जेहनु ठाम । संवर पिता सिद्धारथ माय, प्लवगरे लंछन अभिनंदन राय समरूं समति जिणेसर देव, लंछण क्रोंच करै जस सेव। नयरी जास भली कोसला, मेघ पिता माता मंगला कोसंबी नयरी धरराय, राणी सुसीमा जेहनी माय । पदमप्रभु प्रणमुंजिणराय, पदम लंछण रतुपल काय स्वस्तिक लंछण सामि सुपास, तूठो टालै गर्भावास। पयठ नरेसर पृथिवी माय, वाणारसी नयरी वर ठाय ससि लंछण चंद्रप्रभु देव, चोसठ इंद्र करे जसु सेव। महसेन पिता माता लक्ष्मणा', नयरी जेहनी चंद्रायणा काकंदी नयरी अभिराम, लंछण मगर सुविधिजिन नाम । सुग्रीव पिता माता जसु राम, पुप्फदंत बीजो तसु नाम सीतल सहजै सुख दातार, भद्दलपुर स्वामी अवतार । दृढरथ राजा नंदामाय, श्रीवच्छ लंछण प्रणमुंपाय श्रेयांस कहीयै अग्यारमो, खडगी लंछण भावि नमो। सीहपुरी राजा श्री विष्णु, माता जेहनी सुणीयै विष्णु चंपानयरी वसुपूज्य राय, जयादेवी राणी जसु माय । वासुपूज्य जिणवर बारमो, महिष लंछन भावै नमो कंपिलपुर राजा कृतवर्म, सामा राणी अछै सुधर्म । सुयर लंछण सामी विमल, वूठो आपै पदवी अमल अयोध्या नयरी उत्तमठांम, अनंतनाथ सामी नुं नाम । सीहसेन सुजसा जसु माय, सीचाणुं लंछण तसु पाय रतनपुरी राजा श्री भांण, सुव्रता राणी मात सुजाण । मुगतिपुरी नो सुधो साथ, वज्र लंछण प्रणमुं धर्मनाथ ॥१०॥ ॥११॥ ॥१२॥ ॥१३॥ ॥१४॥ ॥१५॥ ॥१६॥ ॥१७॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525321
Book TitleShrutsagar 2017 04 Volume 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2017
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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