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रिसहजिण अजित संभव अभिनंदणं सुमति पदमप्रभुं तिम सुपासं जिनं । चंदप्रभु सुविधि शीतलह श्रेयांस ए
वासुपूज विमल जिन अनंत सुप्रशंस ए
धर्मजिन शांतिजिन कुंथु अरिदेव ए मल्लि मुणिसुव्वयं नमिजिणं सेव ए। मि वलि पासजिण वीर वर्धमान ए नमुं चौवीसजिण एह वर्तमान ए
॥ ढाल -२ ॥
केवलज्ञानी तिम निरवाणी ए सागर महायश विमल वखाणी ए । सर्वानुभूति श्रीधर दत्त देव ए दामोदर श्रीसुतेजा सेव ए॥
(तर्ज- अष्टापदे श्री आदिजिनवर)
सेवए स्वामि मुनिसुव्रत सुमति शिवगति नाम ए अस्ताघ जिनवर वलि नमीसर अनल जसधर साम ए प्रणमुं कृतारथ श्री जिणेसर शुद्धमति जिन शिवकरू स्यन्दन अने संप्रति सुनामै अतीत कालै जिनवरू
॥ ढाल -३ ॥
(ढाल वीर जिणेसर नी)
पदमनाभ सूरदेव सुपास स्वयंप्रभु सुनिहालि सरवानुभूति देवश्रुती उदय देव पेढाल । पोटिल शतकीरति रति वखाणि सुव्रतसेवी जै अमम नि:कषाय नि:पुलाक निर्मम निरखीजइ चित्रगुप्त नमीयै समाधि संवर श्रीयशोधर विजय मल्लि जिनदेव दोइ अनंतवीर्य भद्रंकर । एह अनागत काल हुसी चौवीस तिथंकरु त्रिकरण वंदीजइ सदीव परतखि ए सुरतरु
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March-2017
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