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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 24 रिसहजिण अजित संभव अभिनंदणं सुमति पदमप्रभुं तिम सुपासं जिनं । चंदप्रभु सुविधि शीतलह श्रेयांस ए वासुपूज विमल जिन अनंत सुप्रशंस ए धर्मजिन शांतिजिन कुंथु अरिदेव ए मल्लि मुणिसुव्वयं नमिजिणं सेव ए। मि वलि पासजिण वीर वर्धमान ए नमुं चौवीसजिण एह वर्तमान ए ॥ ढाल -२ ॥ केवलज्ञानी तिम निरवाणी ए सागर महायश विमल वखाणी ए । सर्वानुभूति श्रीधर दत्त देव ए दामोदर श्रीसुतेजा सेव ए॥ (तर्ज- अष्टापदे श्री आदिजिनवर) सेवए स्वामि मुनिसुव्रत सुमति शिवगति नाम ए अस्ताघ जिनवर वलि नमीसर अनल जसधर साम ए प्रणमुं कृतारथ श्री जिणेसर शुद्धमति जिन शिवकरू स्यन्दन अने संप्रति सुनामै अतीत कालै जिनवरू ॥ ढाल -३ ॥ (ढाल वीर जिणेसर नी) पदमनाभ सूरदेव सुपास स्वयंप्रभु सुनिहालि सरवानुभूति देवश्रुती उदय देव पेढाल । पोटिल शतकीरति रति वखाणि सुव्रतसेवी जै अमम नि:कषाय नि:पुलाक निर्मम निरखीजइ चित्रगुप्त नमीयै समाधि संवर श्रीयशोधर विजय मल्लि जिनदेव दोइ अनंतवीर्य भद्रंकर । एह अनागत काल हुसी चौवीस तिथंकरु त्रिकरण वंदीजइ सदीव परतखि ए सुरतरु For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir March-2017 11311 ॥४॥ 11411 ॥६॥ 11611
SR No.525320
Book TitleShrutsagar 2017 03 Volume 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2017
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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