SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 23 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्फुटक कृतियाँ भी प्राप्त होती हैं। प्राकृत में चौबीस दंडक विचार कुलक उपलब्ध होता है। मारुगुर्जर रचनाओं में अभयंकर-श्रीमती चौपाई, अमरकुमार रास, भावना विलास, भर्तृहरि कृत शतकत्रय स्तबक, नेमि राजुल बारहमासा, विक्रमादित्य पंचदंड चौपाई, कृष्ण-रुक्मिणी वेली बालावबोध, संघपट्टक बालावबोध, नवतत्त्व भाषाबन्ध, वर्तमान जिन चौवीसी, बत्तीसी साहित्य, बावनी साहित्य सहित विविध स्तवनों की रचना कर इन्होंने श्रुतज्ञान की सेवा की है। वैद्यक सम्बन्धी भी दो रचनायें मिलती हैं- (१) मूत्र परीक्षा और (२) कालज्ञान । ध्यांन श्रुतदेवता तणो हियडै धरी सयल जिनरायना पाय प्रणमी करी । छिन्नवै जिनतणा नाम हुं भाषिसुं विमल सद्गुरु वचन मेलि श्रुतसाषितुं वट्टमाणा जिणा इत्थ चौवीस ए तीय काले तहा जिण तहा णागए । विहरता वीस जिणराय वलि जाणीयै सासता च्यारी नामेण वखाणीयै March-2017 छिन्नू जिनवरांरौ स्तवन नामक कृति खरतरगच्छ साहित्य कोश में क्रमांक ६००९ पर अंकित है। प्रति परिचय छिन्नू जिनवरांरौ स्तवन नामक हस्तलिखित कृति की प्रतिलिपि राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर संग्रहालय से महेन्द्रसिंहजी भंसाली (अध्यक्ष, जैन ट्रस्ट, जैसलमेर) के शुभप्रयत्न से प्राप्त हुई है। एतदर्थ वे साधुवादार्ह हैं। जोधपुर में पुस्तकनुमा हस्तलिखित प्रति क्रमांक - २९८१३ में अनेक लघु-दीर्घ रचनाओं के साथ प्रस्तुत कृति पृष्ठ संख्या- १५० पर लिखी हुई है। प्रति के प्रत्येक पृष्ठ पर प्राय: २७ पंक्तियाँ तथा प्रत्येक पंक्ति में लगभग २० अक्षर हैं। अक्षर सुंदर व स्पष्ट हैं। छिन्नू जिनवरांरौ स्तवन ।। ढाल-१ ।। ॥८०॥ (ढाल-कडखानी ए देशी) For Private and Personal Use Only 11211 11211
SR No.525320
Book TitleShrutsagar 2017 03 Volume 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2017
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy