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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शिक्षाशतबोधिका-एक आत्मबोधक काव्य गणि सुयशचंद्रविजयजी हमणां थोडां समय पूर्वे कवि अखानां चाबखा नामर्नु पस्तक जोवां मळ्यु. आम तो तेमां कवि अखाए बनावेलां पदोनो संग्रह ज हतो. साथे ते पदोमां गर्भित रीते तत्कालीन सामाजिक दूषणोनी कडक समालोचना पण हती, ते वांची त्यारे थयु प्रायः दरेक समाजमां थोडा थोडां काळे नाना-नानां दोषोनो प्रदुर्भाव थतो हशे. पछी ते ज दोषो विस्तार पामी दूषण स्वरूपे परिवर्तित थई जतां हशे. अंते आवां समये कोई ने कोई संतपुरुष द्वारा ते प्रवृत्तिओ डामवा फरी प्रयत्नो शरु करातां हशे. खरेखर के, भयंकर विषचक्र. ___जो के आ चक्र फक्त वैदिक संप्रदायो पुरतुं सिमित न हतुं. मोटां भागनां धर्म-संप्रदायो आ चक्रमां फसायेलां हतां. ते-ते काळे घणां संतो, महात्माओ, स्वधर्मानुरागीओ पोत-पोतानां धर्मनां उत्कर्ष माटे पोतानां अनुयायीओ वधारवा माटे हुंसा-तुसी करतां. परमात्मतत्त्व शुं छे? मोक्षप्राप्तिनी आराधना केम करवी? ते समजाववां करतां पोतानी मान्यताओने समाज पर ठोकी बेसाडवामां ज तेमने रस हतो. आवां समये समाजमा प्रवेशेलां दूषणोने अटकाववा माटे अन्य कविओनी जेम प्रस्तुत कृतिकार कवि हंसरत्नविजयजीए पण कलम उपाडी छे. कवि भलेने जैन मुनि छे पण तेमनां विचार सांप्रदायिक नथी. तेमणे जे साचे तत्त्व छे, तेने ज प्रस्तुत काव्यनां माध्यमे बताडवानो प्रयत्न कर्यो छे. परमात्मतत्त्वनी ओळख, सुगुरु-कुगुरुनो भेद, सद्धर्मनुं स्वरूप जेवां विषयो पर प्रकाश पाथरी तेणे मोक्षार्थी जीवोने मोक्षमार्गअनुसंधान तो करी ज आप्यु छे, साथे-साथे जगत्कर्तृत्व, वीतरागना जेवां सिद्धांतो परनो जैन धर्मनो उदार दृष्टिकोण पण लोकभोग्यशैलीमां बाळजीवोनी समक्ष रजु कर्यो छे. कृति गुजराती भाषामा होइ वाचको ते वांचीने विशेष पदार्थावबोध पामे तेवी आशा. आ कृतिनी प्रतो प्रायः १९मी सदीनां लेखननी ज आधिकांश प्राप्त थाय छे, तेथी कृतिमां इ, उ, अनुस्वारादिनां घणां सुधारा करवां द्वारा वाचकोने कृति समजतां वधु तकलीफ पडशे. तेम विचारी अमे कृतिनां अशुद्ध पाठो सुधारी कृतिने जेटली बने तेटली वधु सुधारी अहीं रजु करी छे. प्रत परिचय कृति संपादन माटे हस्तप्रतनी झेरोक्ष आपवा बदल भावनगर श्री आत्मानंद For Private and Personal Use Only
SR No.525320
Book TitleShrutsagar 2017 03 Volume 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2017
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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