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February-2017 ११मी सदीनां हतां जे वांचवां खरेखर अघरां हतां. छतांय पूरा प्रयत्ने अमे ए लेखो तैयार कर्यां, ते लेखोनुं प्रकाशन करतां पूर्वे जूनां लेखसंग्रहमा आमांनो कोई पण लेख छपायो छे के नहिं? तेनी तपास करतां घणां लेखो आबू लेखसंग्रह (भाग-५)मां इतिहासप्रेमी मुनिश्री जयंतविजयजी द्वारा सामान्य फेरफार साथे प्रकाशित करायेलां जोवां मळ्यां.
अमारी फरज प्रमाणे हवे ते बे पाठमांथी शुद्ध वाचना तैयार करवी जोईए पण लेखोनी नवी फोटोग्राफी अमारी पासे न होवाथी ते काम हाल पूरतुं स्थगित करी आबू लेखसंग्रहमां अप्रकाशित एवां १० लेखोने अहीं वाचकोनां अध्ययन माटे प्रकाशित करीए छीए.
प्रान्ते १०-११ मी शताब्दीनां लेखो वांचवानो अमारो प्रथम प्रयास छे. तेथी लेखोमां कोई पण क्षति रहेवा पामी होय तो विद्वानोने अमारुं ध्यान दोरवा विनंती.
प्रतिमा लेखो एकलतीर्थी
सं० १२३८ माघ वदि ५ रवौ श्री संडेरकगच्छे श्रीजसोभद्रसूरि..... २. पार्श्वनाथ भगवान (त्रितीर्थी)
॥६॥देवधर्मोऽयं उयंकसन्निवेशिज देवदोल्यां (?) द्रोण श्रावकेन सं० १(०)३६ श्रावण सुदि ४ जीयदपुत्रेण पार्श्वनाथ भगवान (त्रितीर्थी) ॥६॥ देवधर्मोऽयं यक्ष श्रावक जीयदपुत्रेण कारिता जिनत्रयः । सं० १(०)३६ श्रावण (सु?)वदि ४
सं.?...... कीयगच्छे....कारिता ५. - (चोविशी)
सारस्वती। पार्श्वनाथ भगवान (एकलतीर्थी) सं० ११५८....... क व. ३ नाणकगच्छे जसमति कारिता।
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