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मन्दसोर में जैनधर्म
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डॉ. राजश्री रावल
दशपुर मन्दसोर :
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प्राचीनकाल में, मन्सोर' को, दशपुर कहते थे । दशपुर एक देश का नाम था, उसकी राजधानी' भी दशपुर कहलाती थी । 'मन्दसोर' शब्द, मढ़ दशउर का तद्भव रूप, प्रतीत होता है, जिसका अपभ्रंश, मढ़दसउर होगा । 'दसउर का, पाणिनीय व्याकरण द्वारा संस्कृत रूप, 'दसोर' होगा । 'मढ़' शब्द का मुखसुख के लिए गढ़ा हुआ रूप, 'मण' और फिर 'मन' होगा । 'मनदसोर ही 'मन्दसोर' या 'मंदसोर' बना होगा।
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1 मध्यप्रदेश के पश्चिम में इसी नाम के एक जिले का मुख्यालय है...
2. इस नाम की सार्थकता सिद्ध करने वाली एक मनोरंजक घटना का उल्लेख आवश्यक सूत्र की चूर्णि, निर्युक्ति और वृत्ति आदि में इस प्रकार मिलता है।
महाराज उदयन (छठी शती ई.पू.) चण्डप्रद्योत को बन्दी बनाकर अपनी राजधानी की ओर ले जा रहा था। वर्षाकाल प्रारम्भ हो जाने से वह अपने अधीनस्थ राजाओं के साथ मार्ग में ही ठहर गया। उन राजाओं ने सुरक्षा के लिये दस-दस किले बना लिए। चार माह के लिए वहाँ के ग्रामवासियों को यातायात और आवास की सुविधा भी प्राप्त करवाई । वर्षाकाल के पश्चात् उदयन और वे राजा तो वहाँ से चले गये पर कुछ लोग वहीं रहने लगे और वहां एक नगर ही बस गया जिसे दस पुरों (किलों) के कारण 'दशपुर' कहा जाने लगा ।
3 कुमारगुप्त के दशपुर अभिलेख (श्लोक ३०) में इसे पश्चिम भारत का सर्वश्रेष्ठ नगर माना जाता था। 4 'क्लीबं दशपुरं देशे पुरगोनर्दयोरपि' विश्वलोचनकोश (बम्बई, १६१२ ) स रान्तवर्ग, श्लोक २७३,
पृ.३२२
5 प्राचीन जनपदों की परम्परागत सूचियों मे दशपुर का नाम नहीं मिलता, उसे अवन्ति या मालवा में अन्तर्गर्भित किया गया है।
6 काशी देश की राजधानी वाराणसी भी कालान्तर में 'काशी' ही कही जाने लगी थी I
7 बहुत् संहिता (२४,२०) और कुमार गुप्त तथा बन्धुवर्मन के पाषणस्तम्भ लेख में इसे एक नगर के रूप में ही उल्लिखित किया गया है।
8 मढ़ नाम का एक स्थान मन्दसोर के पास आज भी विद्यमान है।
9 ‘दस+उर’ अदेङ् गुणः (अष्टाध्यायी, १/२/२) सूत्र म से गुणसंज्ञा और 'आद् गुणः (अष्टाध्यायी ६/१/६७) सूत्र से गुण स्वर सन्धि होने पर 'दसोर होगा ।'
10 मन्दसोर के लिये दसोर शब्द भी प्रयुक्त होता है । देखिए, ग्वालियर स्टेट गेजेटियर प्रथम भाग पृ.२६५ और आगे इस क्षेत्र में कुछ समय पूर्व तक पाये जाने वाले दसोरा ब्राह्मण भी यही सिद्ध करते हैं ।
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11 कुछ विद्वान इसे ‘मन्दसोर' मान कर कहते है कि यहाँ सौर (सूरस्य इदं सौरम्) अर्थात् सूर्य का तेज मन्द होता है (मन्द सोरं यस्मिन् तत् मन्दसोरं नाम नगरम् ) अतः यह मन्दसौर कहा जाता है।