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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 13 दिसम्बर-२०१६ ॥१॥ ॥२॥ ॥३॥ ॥४|| श्रुतसागर उन्नतपुर तीर्थमाला all श्रीगुरुभ्यो नमः॥ आर्या नत्वा श्रीविद्यागुरून्, रम्यश्रीविजयसेनसूरीन्द्रान् । श्रीधर्मविजय बुधान्, गुरून् गुरूनिधियाऽस्माकान् श्रीहंसराजयानां _यिका पुस्तकांकिताग्रकराम्। प्रणिपत्य विश्वजननीं, वी(वा)चं वागर्थबोधकरीम् श्रीउन्नतपुरवसुधारमणीहृदयाग्रहारसंकाशान् । पञ्चापि जिनवरेन्द्रान्, क्रमेण शैवादिकान् स्तोष्ये ए जिन तिणि वासवि थुण्या, जस बहु बुद्धिविलास, हुँ पणि ए जिन संस्तवं, चित्त थयो उल्लास रायमार्गिं गयवर चलइ, तिहां स्युं कीट न जंति । मेरु प्रदक्षिण रवि दिइं, स्युं तारा नवि दिति गंगोदक नरपति पिइं तो, अवर नरा न पिबंति । फलइ वृक्ष सहकार तो, स्युं करी म फलंति नालिकेरि ऊगइ भुइं, तो स्युं तृण न उगंति। होइ लहरि जु सायरि, स्युं सरोवरि नवि हुंति भक्ति घणि मति थोडिली, मुझ तुझ थुणवा जाणि। श्रीनेमीश्वर वीनवू, सरस करे मुझ वाणि ढाल-राग- केदारगुडी प्रथम नेमिजिनभवनिं जई, प्रभूजी पूजी मनि गहिगहिइं, लाभ घणो इम लहिइं, सुणयो भवि तुह्मनइ इम कहिइ श्रीनेमीश्वर मुल गभारइ, भावि निरख्यो दुरित-निवारइ, सघलां विघन विडारइ, सुणयो भवि भवसायर ऊतारइ ऋद्धि अनंती जिननी निरखो, प्रभु पूजंता हिअडइ हरखो, ए परमेश्वर परखो, सुणयो, भवि कोइ न एहनइ सरिखो ॥६॥ ॥७॥ ॥८॥ ॥९॥ ॥१०॥ ॥११॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525317
Book TitleShrutsagar 2016 12 Volume 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size12 MB
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