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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अज्ञातकर्तृक नेमिजिन शासनाधिष्ठायिका श्री अंबिकादेवी कथा गजेन्द्र शाह जिनशासन में चौबीस तीर्थंकरों के चौबीस अधिष्ठायक देव व चौबीस अधिष्ठायक देवियाँ होती हैं. जिनकी स्थापना स्वयं जिनेश्वरों के द्वारा की जाती है. सम्यग्दृष्टि व परमात्मा के परमभक्त देव-देवी ही इसके अधिकारी होते हैं. वे परमात्मा के भक्तों की रक्षा, शासन की रक्षा व शासन प्रभावना के कार्य करने में सहायक होते हैं. प्रस्तुत कृति एक ऐसी शासनाधिष्ठायक देवी की है जो बालब्रह्मचारी भगवान श्री नेमिनाथजी की शासनदेवी के रूप में प्रसिद्ध है. जो गिरनारजी, आबूजी आदि तीर्थ व कई ग्राम-नगरों में प्रतिष्ठित है. जिनकी महिमा आज भी सर्वत्र जाज्वल्यमान है. जिसकी साधना कर विमलमंत्री ने आबूजी तीर्थ की स्थापना की, जिसे आज जैन-जैनेतर सभी मानते हैं, पूजते है. कई मंत्र-तंत्र उनसे अभिवासित है. भूत-प्रेत डाकिनी-शाकिनी जिनके नाममात्र से भाग जाते हैं. जिनका प्रभाव मात्र जैनों में ही नहीं बल्कि जैनेतरों में भी सर्वत्र प्रसिद्ध है, जैनेतरों में नवरात्रि के समय जिनकी विशेष पूजा की जाती है. अचिंत्य प्रभावी इस अंबिकादेवी की कथा कुछ इस प्रकार है सौराष्ट्र में कोडीनार नामका गाम आज भी प्रसिद्ध है, जिसे प्राचीन समय में कोडिनारि ग्राम भी कहा जाता था. इस नगर में सोमभट्ट नामक ब्राह्मण रहता था, जिसकी पत्नी अंबिका थी. पितृपक्ष (श्राद्ध) आने पर ब्रह्मभोज हेतु कई खाद्यसामग्रियाँ बनाई गई थी. उसी दिन उसके घर मासक्षमण के तपस्वी जैन मुनि भिक्षार्थ पधारे, अंबिका ने अत्यंत भावपूर्ण हृदय से मुनि को मासक्षमण का पारणा करवाया. अधर्मी, मिथ्यात्वी पडोसन ने यह देखा व बाहर से आ रही अंबिका की सास को भरमाया कि ब्राह्मणों ने अभी तक भोजन नहीं किया और तेरी बहू ने For Private and Personal Use Only
SR No.525316
Book TitleShrutsagar 2016 11 Volume 03 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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