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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 32 SHRUTSAGAR September-2016 इस पावन अवसर पर श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा के माननीय ट्रस्टी श्री हेमन्तभाई सी. राणा को कोबा ट्रस्ट की ओर से चाँदी के प्लेट पर कोबा तीर्थ को उनके द्वारा मूलमें से खडा करने हेतु किये गए अतुलनीय योग दान हेतु जैनसेवारत्न (पुरष्कार) के रूप में अभिनंदन पत्र अर्पित किया गया तथा संस्था के प्रति उनकी समर्पितता एवं कार्यों का गुणगाण किया गया. भव्य गुरुपर्वोत्सव के अंत में सभी पधारे हुए महानुभावों के लिए श्रीसंघ द्वारा साधर्मिकभक्ति की सुन्दर व्यवस्था की गई थी. सभी कार्यक्रम बड़े ही उत्साहपूर्वक संपूर्ण धार्मिक वातावरण में सम्पन्न हुआ. प्रस्तुत प्रसंग पर निम्न ग्रंथों का किया गया विमोचन आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा द्वारा प्रकाशित-कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची का भाग १९, २० एवं २१, जैन रामायण भाग १ से ३, मयणा, प्रशमरति, पापणे बांध्यु पाणियारु व भारतीय पुरालिपि मञ्जूषा आदि ग्रंथों का विमोचन संपन्न हुआ. भारतीय पुरालिपि मञ्जषा में ब्राह्मी, शारदा, ग्रंथ, प्राचीन नागरी आदि चार लिपियों का उद्भव और विकास, वर्णमाला, लेखन परम्परा तथा हस्तप्रत पठन-पाठन संपादन विद्या आदि महत्त्वपूर्ण विषयों पर शोधपूर्ण विवेचन प्रस्तुत किया गया है। पूज्यश्री के ८१ वर्ष पूर्णता पर पुष्पदंत श्री जैन संघ द्वारा किये गये विशिष्ट अनुमोदनीय अनुष्ठान ८१ जिनालयों में अंगरचना, ८१ प्रभु की सेवा करने वाले पुजारिओं का बहुमान, ८१ साधुसाध्वी भगवंतों के सेवकों का तथा उपाश्रय में सेवा करने वाले सेवकों का बहुमान, ८१ पाठशाला के शिक्षकों व बालकों का सम्मान, ८१आयंबिलशाला के तपस्वियों की भक्ति, ८१ ज्ञानभंडार के स्वयं-सेवकों का बहुमान, ८१ जैन रिक्साचालकों का बहुमान, ८१ जैन परिवारों के गृह-सेवकों का बहुमान, ८१ हजार सामायिक की शुद्ध आराधना, ८१ हजार आयंबिल तप की आराधना, ८१-८१ दिव्यांगों अपंगों को ट्राईसाईकल, व्हीलचेर, बैसाखी आदि दिया गया. कोबातीर्थ में पर्यषण महापर्व की भव्य आराधना प. पू. राष्ट्रसंत आ. श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के सदुपदेश से निर्मित श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र कोबा में पर्युषणपर्व दौरान विविध संघों से व ग्राम-नगरों से अच्छी संख्या में भाविक पधारे. ६४ प्रहरी पौषध, छट्ट, अट्ठम, अट्ठाई आदि तपश्चर्या व पूजा प्रतिक्रमणादि आराधना अभूतपूर्व हुई. भगवान महावीर स्वामी की भव्यातिभव्य अंगरचना के दर्शन हेतु दूर-दूर से भक्तों की भीड लगी. अष्टमंगल, १४ स्वप्न आदि की बोलीयाँ आदि में भाविकों ने मन लगाकर द्रव्य व्यय किया. जापमग्न पू. आ. श्री अमृतसागरसूरि म. सा. व पू. मुनि श्री कैलासपद्मसागरजी म.सा. की निश्रा में समयबद्ध श्री कल्पसूत्र-बारसासूत्र के व्याख्यान व प्रतिक्रमणादि से आराधक धन्य हुए. For Private and Personal Use Only
SR No.525314
Book TitleShrutsagar 2016 09 Volume 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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