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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर www.kobatirth.org 27 ३. पार्श्वनाथ शोधपीठ ग्रंथमाला, ४. पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रंथमाला । इन ग्रंथमालाओं के साथ चार प्रकाशक जुड़े हुए हैं १. पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, २. पार्श्वनाथ शोधपीठ, ३. सोहनलाल जैन धर्म प्रसारक समिति व, ४. सोहनलाल स्मारक पार्श्वनाथ शोधपीठ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अगस्त-२०१६ इतने प्रकाशक नामों के साथ इस संस्थान ने ग्रंथों के अनुसार ग्रंथमालाओं को चलाकर कृतियाँ प्रकाशित की हैं। ये सभी ग्रंथमाला आपस में जुडी हुई हैं। पार्श्वनाथ संस्थान के निदेशक के रूप में कार्य करते हुए विविध विद्वानों ने प्रशंनीय कार्य किए हैं। For Private and Personal Use Only प्रारंभ में संस्थान का नाम पार्श्वनाथ विद्याश्रम था और बाद में अपर नाम पार्श्वनाथ विद्यापीठ स्थापित हुआ । अतः उस समय के कार्यकालीन निदेशकों के परिश्रम से यह संभव हुआ है। डॉ. सागरमलजी जैन जैसे मूर्धन्य विद्वान के निर्देशन कार्यकाल में पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने सफलता की महत्तम ऊँचाईयों को प्राप्त किया। इन्हींके मार्गदर्शन से यहाँ देश-विदेश के विद्वानों ने अध्ययनसंशोधन का कार्य किया। डॉ. सागरमलजी ने विविध ग्रंथों को प्रधान संपादक के रूप में संपादित किया । इन्हीं कारणों से डॉ. सागरमल जैन इस ग्रंथमाला के प्रधान संपादक के रूप में सम्मानित हैं। संपादक/संशोधक आदि का संक्षिप्त परिचयः पार्श्वनाथ संस्थान के उन्नयन में डॉ. सागरमलजी जैन व अन्य निदेशक, संशोधक और प्रोफेसर आदि विद्वानों का भी बहुमूल्य योगदान रहा है। जब ई.सन्१९४४ में इस संस्थान में दलसुखभाई मालवणिया प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए, तब तत्कालीन कुलपति डॉ.राधाकृष्णन् भी दलसुखभाई से अत्यन्त प्रभावित हुए थे । डॉ. मालवणिया ने इस संस्थान को सेवा प्रदान करते हुए विविध महत्त्वपूर्ण
SR No.525313
Book TitleShrutsagar 2016 08 Volume 03 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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