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August-2016 हो रहा है तथा जीवों की संख्या कम होती जा रही है। ऐसा लगता है कि अब आध्यात्मिक विकास की दर को बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देने कि जरूरत है। ___ अहिंसा का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है। अगर अमेरिका के सभी ३२ करोड़ नागरिक सिर्फ एक दिन के लिए केवल शाकाहार भोजन करें, तो पर्यावरण को निम्न फायदा होगा-४,००० करोड़ लीटर पानी की बचत होगी, पशु बचेंगे तो प्राकृतिक खाद में वृद्धि होगी जिस कारण खेतों में अन्न की पैदाइस बढेगी, पौष्टिक गोरसादि मिलने पर आरोग्य बढेगा, २८ करोड़ लीटर गैस की बचत होगी और ३३ टन एंटीबायोटिक की बचत होगी। ग्रीन हाउस गैसों के उत्पादन में कमी आएगी, जिसकी मात्रा होगी १२ लाख टन कार्बन डाई-ऑक्साइड, ३० लाख टन मिटटी का भूस्खलन, ४५ लाख टन पशुओं का मलमूत्र और ७ टन अमोनिया गैस वगेरह । शायद इसीलिए अमेरिकी राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा ने सभी अमरीका के नागरिकों को आह्वान किया है कि वे सप्ताह में एक बार मांसाहार का त्याग करें और जीवों कि रक्षा करें तथा पर्यावरण को बचाने में सहयोग करें।
ईसाई धर्मगुरु श्री पोप फ्रांसिस ने १८ जून २०१५ को पूरे विश्व के नागरिकों से अपील की है कि वे प्राणियों की रक्षा के लिए अपने खाने की आदतों को बदलें, क्योंकि इससे वातावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। ___ अहिंसा और जीव-दया सभी धर्मों का मूलमंत्र है। हिन्दू धर्म , जैन धर्म , बौद्ध धर्म , सिक्ख धर्म , ईसाई धर्म , इस्लाम धर्म , पारसी धर्म व अन्य समस्त धर्मों में अहिंसा और दया का महत्त्व किसी न किसी रूप में बताया गया है।
जैन धर्म में विशेषकर अहिंसा का महत्त्व है, विश्व को अहिंसा का संदेश देनेवाले भगवान महावीर के शासन में आ. श्री हीरविजयसूरीश्वरजी म.सा. के सदुपदेश से मुगल सम्राट अकरबर ने पर्युषण में जीव-हिंसा निषेध का फरमान जारी किया था। अहिंसा की आवश्यकता मात्र हिंदुस्तान में ही नहीं, पूरे विश्व में है।
वैसे अहिंसा जीवनभर सभी को आदरपूर्वक अपनाने जैसी बात है। फिर भी कम से कम पर्युषण पर्व, भगवान महावीर जन्मकल्याणक आदि दिनों में
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