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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 12 SHRUTSAGAR August-2016 क्षुद्र उपद्रव मारि निवारण, सयलह जीवह रक्षा कारण, संतिकरस्तव जाणिय भणउ.६ जिणि दिणि सयल देव देवत्तण, छंडवि मंडई जिहां तिहां वत्तण, ____ मंत तंत नवि जंत कलइं. ७ जिणि दिणि मणुअ अंगि वलि छल्लई,चउसठि जोगिणि चउपट चल्लई, आण न मन्नई कह तणी ए.८ तिणि दिणि संतिकर स्तव रख्खइ, सिक्ख जक्ख रक्खसह दक्खई, अक्खय, सिवसुह पूरवइ ए. ९ डाइणि-डमर हरइं इह लोए, भव-भय भंजइ पुण परलोए, संतिकरस्तव महिमनिधि. १० दिणचर-किरणे जिम तम नासइ, सिंहनादि जिम मयगल त्रासई __अल्भ पडल जिम पवणि गलइ. ११ संतिकरस्तवि तिम सकलांइं, वंकट संकट दूरि पलाइं, ___ गुणतां नव निधि संपजइ ए. १२ सुरतरु कामधेनु चिंतामणि, संतिकर स्तव जाइं नामिण, महीअलि महिमा झगमगइ ए. १३ देसि नयरि जिणि वतरइ एह, अवमइनि सवि नासई तीह, रिद्धि वृद्धि उत्सव हुई ए. १४ एह भणइ जे नित नर नारि, अष्ट महासिद्धि तीह घर बारि, सिव-रमणी भलीइं वरइं ए. १५ सिरि मुनिसुंदरसूरिहिं विरचिय, जैन जक्ष-यक्षिणी ए अरचिय, संतिकरस्तव संतिकरउ. १६ जां आणंदइ चंद्रलउ तु भमारुली, किरणाउलीअ रसाल, जां महीयलि कणयाचल तु भामारुली, नहयल जां सुविसाल, संतिकरस्तव तां नंदउ तु भमारुली, मंगल कमल दणिंद, सयल संघ रक्षा करउ तु भमारुली, पणमवि संति जिणंद. १७ ॥ इति श्री संतिकरस्तव वर्णन ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525313
Book TitleShrutsagar 2016 08 Volume 03 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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