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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 21 श्रुतसागर जुलाई-२०१६ को आर्ष प्राकृत कहा है। जिस प्रकार वैदिक भाषा में नियम बहुलता से लागु होते हैं उपर्युक्त चारों नियमों के अनुसार लागु पडते हैं। अर्थात् इसी प्रकार अर्धमागधी भाषा में प्राकृत के नियम बहुलता से लागु होते हैं। प्रस्तुत लेख इसी आर्षभाषा के नियमों पर विचार करने के लिए लिखा गया है। ___ इः स्वप्नादौ ८.१.४६- प्राकृत भाषा के सामान्य नियम अनुसार स्वप्न आदि शब्दों में आदि 'अ के स्थान पर 'इ' होता है। जैसे कि ईषत्-ईसि, वेतस-वेडिसो, व्यलीकम्-विलिअं, व्यंजनम्-विअण मृदंग-मुइंगो, कृपणः-किविणो, उत्तमः-उत्तिमो, मरिचम्-मिरिअं, दत्तम्दिण्णं आर्ष प्राकृत में इसके अलावा स्वप्न – सुमिणो भी परिवर्तन होता है। मतलब की इन शब्दों में तो अके स्थान पर इ होता है परंतु स्वप्न में अके स्थान पर उ रूप भी मिलता है जिससे स्वप्न का सुमिणो होता है। एत् शय्यादौ ८.१.५७ – संयुक्त व्यंजनों में विविध स्वरों का आगम होता हैं उसी के रूप में अ के स्थान पर सय्या आदि शब्दों में ए की प्राप्ति होती है। सामान्य रूप मे महाराष्ट्री के जो नियम दिए हुए हैं तद् अनुसार इस प्रकार परिवर्तन होता हैं जैसे- शय्या - सेज्जा, सय्या (सेज), सेज्जा – सज्जा, सद्या (निवास स्थान) इस प्रकार वैकल्पिक रूप से यह परिवर्तन प्राप्त होते हैं जिसमें अ का ए, होता है और नहीं भी होता है- सौन्दर्यम् – सुंदर इस प्रकार औ का उ होता है। जब कन्दुकम् शब्द के लिए हेमचन्द्राचार्य ने अपने ही अभिधान चिन्तामणि कोश में मर्त्यकांड में कन्दुक शब्द के पर्याय रूप शब्द गेन्दुक शब्द दिया है कन्दुक -गेन्दुक “समौ कन्दुकगेन्दुकौ” ॥६६९॥ इन सभी परिवर्तनों के उपरांत भी आर्ष प्राकृत में विशेष रूप से पुराकम्म शब्द के लिए पुरेकम्म ऐसा प्रयोग होता है। जो वैकल्पिक रूप से नहीं होते लेकिन आर्ष में यह सब परिवर्तन होते हैं जो महाराष्ट्री में कहे गए हैं इसके अलावा पुराकम्म के स्थान पर पुरेकम्म निश्चिच रूप से प्राप्त होता है। पूर्वकर्म - पूरेकम्म For Private and Personal Use Only
SR No.525312
Book TitleShrutsagar 2016 07 Volume 03 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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