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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कूखं श्रुतसागर 15 जुलाई-२०१६ पाठान्तर गाथा नं. चरण नं.| कोबानी प्रतनो पाठ जोधपुरनी प्रतनो पाठ. पहाण थान कुंखइं गुणिहं गुणे माय बाप मनि हुई रूली माय बाप हुई मनि रूली कह मो कहई मूं जम्म (इ) जन्म सातत्रीसइ सालीसइ उवज्झायपदि वाचकपदि कुंकतडी कूकूली गुरे प्रतिबोध्या सघला देस प्रतिबोधिया गुरि सघला देस पचूआरा परहासा सवे पचुवरा परहासाह सवइ समकित सम्यक्त्व उवज्झाय वाचक लक्ष बिंब गुरु प्रतिष्ठा करी लक्ष बिंब प्रतिष्ठ्या गुरे महाविदेहि पुहता सुजाण *आज लगइ तसु वरतइ आण आ सिवाय अन्य पण ह्रस्व दीर्घ ई. ऊ तथा अनुस्वारादिक सामान्य पाठांतरो छे जे अहीं उतार्या नथी. __ *आ बन्ने पाठांतरोमां वध मान्य पाठ कोबानी (प्रत नं. ८९२६१) प्रतनो होवो जोईए, कारण के प्रत-लेखननी दृष्टिए बन्ने प्रतो समान होवा छतां कोबानी प्रत थोडी वधु प्राचीन लागे छे. बीजं निरर्थक ईकार, ऊ-कार वाळा शब्दोना पाठो अहीं ओछा छे. त्रीजु मूळकृतिकारे परंपराथी जाणेली ते वात अहीं काव्यमा उमेरी हशे पण जोधपुरनी प्रतना लेखकने ते मान्य न होइ एटलो पाठ बदली नाख्यो होय तेम बने. जो के आ वातनु कोइ प्रमाण मळे तो ज वात चोक्कस विचारी शकाय बाकी तो आ अटकळ ज गणाय. अमे आ कृतिना संपादन माटे आदर्श प्रत तरीके कोबानी प्रतनो उपयोग कर्यो छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525312
Book TitleShrutsagar 2016 07 Volume 03 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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