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जुलाई-२०१६
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श्रुतसागर
ल्हाणी करवी. सूखडना छांटणा छंटाववा, गुरुभगवंतोने पहेरामणी करवी, घरे-घरे तोरण शणगारवा, रास-भासादि कराववा विगेरेनी मांगलिक नोंधो छे. पद्य २०मां ‘पचुवरा परहा साहसवइनी' पंक्तिनो भाव स्पष्ट समजातो नथी पण आगळ पाछळना अनुसंधान परथी सूरिजीना गुणनी विशेष कोइ वात कवि जणावता होय तेवुं लागे छे. स्व- परपक्षमां सूरिजीनी ग्राह्यता २१मां पद्यमां वर्णवाय छे. पछीना चरणमां सूरिजीना गुणवैभवने अपायेली सूर्यकिरणनी उपमा यथार्थ ज छे. सोमसुंदरसूरिजीने वंदना करता पूर्वना ते महापुरुषोने वंदन थया कहेवाय एवं कहेता पछीना पद्य द्वारा कविए सूरिजीना पवित्र चारित्रजीवननो निर्देश कर्यो छे. छेल्ला पद्योमा ऐतिहासिक कही शकाय तेवी धरण - विहारनी, तारंगाना अजितजिन प्रासादनी, सूरिजीना स्व हस्ते थयेल पांच आचार्य पद तेमज पांच वाचक पदनी, लाख बिंब प्रतिष्ठित थयानी विगतो गूंथाय छे. ते ज रीते सूरिजी द्वारा थयेला अन्य कार्योमां जीर्णोद्धारनी, दीक्षाओनी, तेमज मोटा कार्यरूपे प्रायः राणकपुर प्रतिष्ठानी विगत सूरिजीना तत्कालीन सामाजिक प्रभावनी महत्त्वपूर्ण नोंध कही शकाय. सूरिजी निर्वाणनी संवत् मुजब (सं. १४९९) कुल ६९ वर्षनी आयुष्यमर्यादा भोगव्यानी विगत पण काव्यनी एक ऐतिहासिक सामग्री छे. काव्यना छेल्ला पद्यमां कवि सज्झाय रच्यानो संवत् तेमज स्वनाम निर्देश करता सूरिजीना आ चारित्रने भणवाथी शुं फळ मळशे? तेनी माहिती आपवा पूर्वक कृति पूर्ण करे छे.
कर्ता :
प्रस्तुत कृतिना कर्ता कवि मेह छे. मेह नामना १६मी सदीमां बे कवि थया छे- एक प्रस्तुत कृतिकार छे. बीजा मेह कवि ते सं. १४९९मां सोमसुंदरसूरि द्वारा प्रतिष्ठित राणकपुर चतुर्मुख विहार प्रासाद स्तवनना रचनाकार. प्रस्तुत कृति पण सोमसुंदरसूरिजीना जीवन चरित्रनी ज रचना छे तेथी नाम - साम्यथी १४९९ वाळा कवि मेह ज आ कृतिना पण कर्ता होय तेवुं अनुमान सहज थाय छे. पण रचना-संवतना संदर्भे प्रस्तुत कवि मेहनी संवत् घणी पाछळ जणाय छे. बन्ने कृतिओ वच्चे रचनानुं ७२-७३ वर्षनुं अंतर छे तेथी चतुर्मुख प्रासाद स्तवनना रचयितानी आ कृति होय तेवुं मानवुं मुश्केल तो छे ज पण चतुर्मुख प्रासाद स्तवनना कवि मेहनुं आयुष्य जो लांबु (प्रायः ९५ आसपासनुं) होय अने
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