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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संपादकीय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डॉ. उत्तमसिंह भगवान महावीर के जन्मकल्याणक की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ श्रुतसागर का यह नूतन अंक आपके करकमलों में सादर समर्पित है। इस अंक में गुरुवाणी शीर्षक के तहत आचार्यदेव श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म.सा. का लेख प्रकाशित किया जा रहा है जिसमें कर्मयोग का सुन्दर वर्णन करते हुए कहा गया है कि ‘आत्मज्ञान अर्थात् ज्ञानयोग, सम्यकत्व अर्थात् शुद्ध विवेक प्रगट होने के बाद गृहस्थ व साधु स्वकीय अधिकार अनुसार कर्म करते हुए भी अन्तर से अलिप्त रहता है और ऐसी ज्ञानदशा में आत्मज्ञानी को कर्मबन्ध नहीं होता । द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के प्रवचनांशों की पुस्तक ‘Beyond Doubt’ से क्रमबद्ध श्रेणी के तहत संकलित किया गया है तथा तृतीय लेख के तहत प्रसिद्ध पुरातत्त्ववेत्ता प्रो. मारुतीनन्दन तिवारी जी का गवेषणात्मक लेख 'Jain Art of Elora Unique Jaina Heritage' प्रकाशित किया जा रहा है। अप्रकाशित कृति प्रकाशन योजना के तहत इस अंक में पू. मुनिश्री सुयशचन्द्रविजयजी म.सा द्वारा संपादित व संशोधित श्री लक्ष्मीसागरसूरि रास नामक प्राचीन कृति प्रकाशित की जा रही है। मारुगुर्जर भाषा में निबद्ध इस ऐतिहासिक कृति में आचार्य श्री विजयलक्ष्मीसूरिजी म.सा. का जीवनचरित्र बहुत ही सुन्दर, सरल और ज्ञेयरूप में वर्णित किया गया है। इसके साथ ही समाचार सार के तहत तीर्थाधिराज श्री शत्रुंजयतीर्थ की धन्य धरा पर निश्रानायक राष्ट्रसंत प.पू. आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. आदि की निश्रा में शासनोन्नति व श्रीसंघ के वर्तमान प्रश्नों के सुखद समाधानकारी विशाल श्रमण सम्मेलन विषयक समाचार प्रकाशित किये जा रहे हैं। इन समाचारों का संकल न पं. श्री गजेन्द्रभाई पढियार ने किया है। आशा है इस अंक में संकलित सामग्री द्वारा हमारे वाचक लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से अवगत कराने की कृपा करेंगे। For Private and Personal Use Only
SR No.525309
Book TitleShrutsagar 2016 04 Volume 02 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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