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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर www.kobatirth.org 16 अच्युत बार जिणंद भणीइ, एह कारण वारीइ; भक्ति शक्तिइं दशनभद्रह, हेलमान ऊतारी ॥ १५॥ इंद्रि इंद्रि ऐरावण आदि सिउं ए, चउसठि चउसठि सहसग इंदि; जंगम गिरिवर जिम गुडिउ ए, निरमल निरमल अहिंनव चंद्र के; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आएसिइं एक एकहिं, गयवर पंचसइं बारोत्तरां; मुखि कराइं तीह संख्या, त्रिणि कोडि निरंतरां; लाख सत्तावीस अठसठि सहस सोलां निर्मला; एक एकइं वयण मंडई, अट्ठ अट्ठ दंतूसलां ॥१७॥ बावीस कोडि सुखासणउं ए, एकवीस एकवीस लाख मेलाव के; सहस चउंलासी आंगला ए, दंतिहिं दंतिहिं आठ आठ वावि के; बावीस के० ॥१८॥ सुणीअ संख्या वाविनी सवि, बिसई कोडिनइ आगलां; एकउत्तर लाख बावन, सहस विमल महाजला; विवाहिं अट्ठ अट्ठहिं, कमल संख्या सोलसया; कोडि सतहुतिरि बहुतिरि, लाख सोल सहसया ॥१९॥ कमलि कमलि लाख पांखडी ए, सोलए सोलए कोडाकोडि के; कोडि लाख सतहुत्तरा ए, बहूतरि सहसाकोडि के । परिवरिउ तेहिं कोडि सहसई च्यारिसइं एकवीसयां, कोडि सत्यासी अ लाखहि, अठावीससइं सहसयां, 1. साथे मार्च-२०१६ इंद्रि ऐरावण० ॥१६॥ For Private and Personal Use Only पांखणी एकसउसाट्ठि कोडि, पत्रि पत्रि सोहामणी, बत्रीस बद्ध सुर रचइं नाटक, गीत रसिरुलीमणी, कमल कमहिं कणय कंतिइं, तीहं मणिमय जिणहरा, तिहां संख्या कमलनी परिद्र वजावइ संख के, जिणहर संख्या सुखरूप, इंद्राणी इंद्राणी रूप असंख के आवई ॥२१॥ कमल कमलि० ॥२०॥
SR No.525308
Book TitleShrutsagar 2016 03 Volume 02 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2016
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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