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श्रुतसागर
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दिसम्बर-२०१५
उदाहरण के लिए यदि किसी वाचक को पुस्तक का नाम, लेखक का नाम कुछ भी याद नहीं है, मात्र इतना ही याद है कि पुस्तक मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली से प्रकाशित हुई है.
इस परिस्थिति में प्रकाशन के शोध - प्रपत्र में प्रकाशक के नाम में मात्र मोतीलाल बनारसीदास और प्रकाशन स्थल में दिल्ली टाईप करके शोध करने से मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली से प्रकाशित सभी पुस्तकों की सम्पूर्ण सूचनाएँ कम्प्यूटर स्क्रीन पर देखने को मिलती हैं. यह सूची देखने से यदि वाचक की अपेक्षित पुस्तक इस सूची में होगी, तो वह तुरन्त मिल जाएगी.
विद्वान आधारित शोधपद्धति : विद्वान के मुख्य चार प्रकार हैं- १. कृति के कर्ता आदि, २. पुस्तक, मैगेजिन व मैगेजिन के लेखों के संपादक, संशोधक आदि, ३. हस्तप्रत के प्रतिलेखक आदि तथा ४. विद्वान की गुरुपरंपरा में गुरु आदि.
यदि कोई वाचक मात्र किसी विद्वान का नाम लेकर आता है कि आपके पास अमुक विद्वान के द्वारा रचित अथवा संपादित कौन - कौन सी पुस्तकें हैं, वह हमें जानना है और उन पुस्तकों में से अपने लिए उपयुक्त पुस्तकों का चयन करना है. इस प्रकार की शोध करने की भी दो पद्धतियाँ हैं
पहली पद्धति से लायब्रेरी प्रोग्राम के विद्वान सूचना वाले शोधप्रपत्र में उस विद्वान का नाम टाईप करके शोध करेंगे तो उस नाम के सभी विद्वान कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ जाएँगे. उन नामों के नीचे वाले फिल्ड में बहुत सारे टैब होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से चार टैब होते हैं - कृति, प्रकाशन, हस्तप्रत तथा मैगेजिनअंक. सामान्य रूप से शोध किए गए विद्वान के द्वारा रचित ग्रंथों की सूची देखने के लिए कृति वाले टैब पर माउस से क्लिक करने पर उस विद्वान के द्वारा रचित कृतियों की सूची देखने को मिलती है.
इस सूची में कृतियों के नाम, उसके कर्त्ता का नाम, उसका स्वरूप मूल, टीका, अनुवादादि, उसका प्रकार गद्य-पद्यादि, उस कृति का आदिवाक्य, अन्तिमवाक्य तथा उसका परिमाण दर्शाया जाता है.
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(क्रमशः)