________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सम्राट् संप्रति संग्रहालयना प्रतिमा लेखो
संकलन-हिरेन के. दोशी आजे आपणी पासे परंपरा अने श्रमण संस्कृतिनो क्रमबद्ध इतिहास प्राप्त नथी, इतिहासना अप्रकाशित केटलाय तत्त्वो ग्रंथ भंडारो, ताम्रपत्रो, शिलालेखो, अने प्रतिमालेखोमां धरबायेला छे. प्रतिलेखन पुष्पिकाओ, ताम्रपत्रो, शिलालेखो, अने प्रतिमालेखो आवी केटलीय ऐतिहासिक सामग्रीओथी ऐतिहासिक तत्त्व- अनुसंधान करी शकाय छे. आवी ऐतिहासिक साधन साम्रगीओमां प्रतिमालेखो अग्रता क्रमे छे, प्रतिमा लेखोमां सामान्यथी बे प्रकार मळे छे. १ पाषाण प्रतिमा लेखो २ धातु प्रतिमा लेखो, धातु प्रतिमानी अपेक्षाए पाषाण प्रतिमामां लेखो बहु ओछा प्राप्त थाय छे. प्रतिमा लेखोमां श्रमण परंपरा अने तत्कालीन श्राद्ध परंपरा अखंड रूपे प्राप्त थाय छे.
श्रमण परंपराना इतिहासमां खूटती कडीओनुं अनुसंधान करवामां प्रतिमा लेखो बहु महत्त्वनो भाग भजवे छे. पूज्यपाद गुरुदेव श्रीमद आचार्य श्रीपद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज प्रभु शासनना आवा ऐतिहासिक मूल्योनी काळजी अने जतन माटे सतत उद्यमशील अने कांईक करी छूटवानी भावना धरावी, प्रभु शासननी शान अने गरिमाने हृष्ट पुष्ट करता रहे छे. पूज्य गुरुमहाराजना अथाग प्रयत्नथी निर्मित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर अने सम्राट् संप्रति संग्रहालयमा आवी केटलीय ऐतिहासिक सामग्रीओ संकलित, संग्रहीत अने सुरक्षित छे.
संग्रहालयमा रहेला धातु अने पाषाण प्रतिमाना लेखो अहीं प्रस्तुत छे. आ लेखोने उतारी आपवानुं पुण्यकार्य परम पूज्य शासनसम्राटश्री नेमिसूरिश्वरजी म. सा. ना समुदायना प. पू. आचार्यदेव श्रीसोमचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब अने एमना शिष्य परिवारे करी आप्यु छे. संग्रहालयमां जे क्रमांके धातु-प्रतिमाओ नोंधायेल छे. ते क्रमानुसार ज प्रतिमाना लेखो प्रकाशित करीए छीए.
१. विभागीय नं. ३९७, श्रेयांसनाथ भगवान, पंचतीर्थी संवत् १५०५ वर्षे वैशाख सुदि ५ रवौ श्रीश्रीमालवंशे मं. नरपाल भार्या नयणादे पुत्र मं. राउल सुश्रावकेण भार्या राणी पुत्र मेघा प्रमुखसमस्तनिजकुडंबसहितेन श्रीविधिपक्षगच्छे श्रीगच्छेश श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन पुत्र मं. नाथा श्रेयो) श्रीश्रेयांसनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन पूज्यमानं आचंद्रार्क नंदतु || श्रीः ।
For Private and Personal Use Only