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SHRUTSAGAR
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अलबत्त जैनेतर जाणीती छे. एक राजा भर्तृहरिनी, जेमणे हृदयराणी पिंगलानी, 'मयि सा विरक्ता' एवु करुण भान थतां, त्याग कर्यो अने एक दिवस एने ज बारणे भिक्षुक बनीने आवी ऊभा.
MAY-JUNE-2015
भगवान बुद्धी, जेणे जगतना दुःखनी जडीबुट्टी शोधवा प्रिय यशोधराने सूती मूकी महाभिनिष्क्रमण आदर्यु अने एक दिवस जगतना बनीने एनी सामे आवी ऊभा. आ कथाओमां त्याग करता पुनर्मिलननी क्षण वधारे रोमांचक, मार्मिक अने रहस्यमय छे, केमके त्यारे नुतन जीवनदिशा, नुतन अभिज्ञान अने नुतन संबंधना द्वार खूले छे. आ क्षण भारे शक्यतावाळी होय छे पण एनी शक्यताने मौलिक रीते जोवीखीलववी ए घणुं ज दुष्कर कार्य छे.
कोशानीज सामे, कोशाना ज आवासमां, षड्- रसाहार करीने कामविजय सिद्ध करनार स्थूलभद्र जैनोना एक अत्यंत आदरणीय आचार्य छे. एमना विषे प्राचीन गुजरातीमां घणा काव्यो लखाया छे कदाच नेमराजुल विषयक काव्यो पछी संख्यानी दृष्टि स्थूलभद्र विषयक काव्यो आवता हशे पण देखीती रीते ज नेमिनाथना करता स्थूलभद्रना जीवननी घटनाओ वधारे भावक्षम छे.
स्थूलभद्र रागीमांथी विरागी बने छे, नेमिनाथने रागयुक्त जीवन जीववानो अवसर आवतो नथी स्थूलिभद्रने रागभरी कोशानो सामनो करवो पडे छे, आवो सामन नेमिनाथने करवो पडतो नथी. राजुलने नेमिनाथ प्रत्ये एकनिष्ठ-कदाच भक्तिभावनी हदे पहोंचतो- सेह छे पण एनामा कोशाना जेवी प्रगल्भता, विदग्धता, तरवराट के आवेग नथी. उपरांत, स्थूलिभद्रवृत्तांतने एना पिताना जीवननी अद्भुत, रसिक अने रोमांचक प्रसंगोनी भूमिका पण मळी रहे छे आम वृत्तान्तना जुदा जुदा अंशने उठाव आपीने रचना वैविध्य दर्शावी शकाय एवी सामग्री स्थूलिभद्रवृत्तांतमां रहेली छे.
थयु छे पण एवं ज मध्यकालीन गुजरातीना स्थूलिभद्रविषयक काव्योमां केटलुं बधु स्वरूपवैविध्य देखाय छे! एमा कोशाना उद्गारो रूपे नानकडा ऊर्मिगीतो छे, स्थूलभद्रनी प्रशस्तिरूप, के वैराग्यबोधनी सज्झाय छे, कोशाना विप्रलंभशृंगारना वर्णननां बारमासी काव्य अने नवरस काव्यो छे, ईषत् कथातंतुनो उपयोग करता फागुओ अने शीयळवेलीओ छे तथा विस्तृत कथाप्रपंचवाळा रास पण छे' एक ज वस्तुने अनेक कविओ हाथमा ले त्यारे दरेक कविनी नजर ए वस्तुना कया बिंदुओ पर
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१. जुओ, “जैन गुर्जर कविओ” भाग १, २, ३मा पाछळ कृतिओनी सूचिमा ए माहिती जोके अपूरती अने अशुद्ध पण छे.