SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर www.kobatirth.org 18 ॥ ढाल - प्रीतडीआनी ॥ मोरूं मन मोहिउ हो, शांति जिन पाउलेजी, जे प्रभु महिम निवास वासव, वासव नित जस पय नमइजी, पूरइ वंछित आस ||१|| (आंचली) विश्वसेन, विश्वसेनरायांकुलि चंदलउजी, अचिरामातमल्हार, जगती, जगती जनमनमोहनुजी, नमुं हुं वारोवार ॥२॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोलमु, सोलमु जे जिनवर सुंदरूजी, पांचमु सोहइ चक्रधार, सुरनर, सुरनरपति जस सेवा करइजी, त्रिभुवननई सुखकार ॥३॥ ॥ इति शांतिनाथ स्तवनम् ।। कुंथनाथ जिन सतरमु, छट्ठउ चक्रधारी, सूरराय श्री मात जास, प्रणमइ नर नारी, विधनविहंडन सदा तुम्हे, सेवु भवि प्राणी, भवजलतरवा नाव भाव, बहु मनमांहि आंणी, श्रीविशालसोमसूरिंदवर, जंपइ जस गुणमाल, भगत जन भावइ नमु, भुंइं मेली भाल ॥ १॥ ॥ इति नमस्कारः ॥ मे - जून - २०१५ मोरू मन मोहिउ ..... तरण, तरणतारण तुं जिनवर जयुजी, जिणइ जनमि निवारी मारि, शांतिजी, शांतिकरण शांतिजिन जयुजी, पुहुतु मोक्ष मझारि ॥४॥ For Private and Personal Use Only मोरूं मन मोहिउ.... मोरूं मन मोहिउ.... श्रीगुरू, श्रीगुरू श्रीविशालसोमसूरीसरूजी, जेहनुं धरइ ध्यान, पंडित, पंडित संघसोम इम भणइजी, शांति नामिं नवइ निधान ॥५॥ मोरूं मन मोहिउ..... मोरूं मन मोहिउ...
SR No.525300
Book TitleShrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy