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॥ ढाल - प्रीतडीआनी ॥
मोरूं मन मोहिउ हो, शांति जिन पाउलेजी, जे प्रभु महिम निवास वासव, वासव नित जस पय नमइजी, पूरइ वंछित आस ||१|| (आंचली)
विश्वसेन, विश्वसेनरायांकुलि चंदलउजी, अचिरामातमल्हार, जगती, जगती जनमनमोहनुजी, नमुं हुं वारोवार ॥२॥
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सोलमु, सोलमु जे जिनवर सुंदरूजी, पांचमु सोहइ चक्रधार, सुरनर, सुरनरपति जस सेवा करइजी, त्रिभुवननई सुखकार ॥३॥
॥ इति शांतिनाथ स्तवनम् ।।
कुंथनाथ जिन सतरमु, छट्ठउ चक्रधारी, सूरराय श्री मात जास, प्रणमइ नर नारी, विधनविहंडन सदा तुम्हे, सेवु भवि प्राणी, भवजलतरवा नाव भाव, बहु मनमांहि आंणी, श्रीविशालसोमसूरिंदवर, जंपइ जस गुणमाल, भगत जन भावइ नमु, भुंइं मेली भाल ॥ १॥
॥ इति नमस्कारः ॥
मे - जून - २०१५
मोरू मन मोहिउ .....
तरण, तरणतारण तुं जिनवर जयुजी, जिणइ जनमि निवारी मारि, शांतिजी, शांतिकरण शांतिजिन जयुजी, पुहुतु मोक्ष मझारि ॥४॥
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मोरूं मन मोहिउ....
मोरूं मन मोहिउ....
श्रीगुरू, श्रीगुरू श्रीविशालसोमसूरीसरूजी, जेहनुं धरइ ध्यान, पंडित, पंडित संघसोम इम भणइजी, शांति नामिं नवइ निधान ॥५॥
मोरूं मन मोहिउ.....
मोरूं मन मोहिउ...