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________________ For Private and Personal Use Only ॥६॥ श्रीमानिनः सुनयनांनचुतादजिश्रियंनि चतुर्वदनचयं । विश्वविद्यालय नपन विबुद्दि भाया निगदिमां खिलावद विद्यां । १। यतिनूजन सुंदर माश्रितवत्युं दाष्टान्य रिष्टपटला निजानं निशुः । सद्यः शिवानिचनया मिंतदा विरा सन्नासन्न मिहिसुखादासु सशांति साश्यः । श्रीनां जनानामो खाराजीराजीमती गुणवती सतीचे कारकिल मारविकारमुकाखकाला नयनांश नमि || श्री जीप लिन गरी शुरु मजिवाला मानान्नतघनाघन से निनायां । कालिकाला प्रविलमत् प्रबल पती/पा जागर्तिपार्श्वजिग राह महे सावते ॥ नीरथारुतर नातिना शिक्षा निज्ञातितज्ञा मंत्र दियस्यायनः पीयूषन रष्टष्टिसमंवदृष्टिमिष्टामविचिपेजवीर जिन भूमि ॥ यस्याः सदा निरवसादगुरु प्रसाद मासाद्यमाद्यनिक विक विकर्मलासानाय ज्ञाननानवाकृतमलन्यांतांना तीन गवसीमा मिना ॥ ६ वंदे सु दांदमितऽर्व मदादिदं विद्या शुरु सुधिषणा धिषणा लुकायो जानियेव विनय विद्यातिरुद्य किरागंवर पिर्जदाराकी नावतीयागोतमस्य साम्य कामदाोक लिय ख्यमुगुणान्या नाच्दं । अन्य से चिनवाछनिदिहि जिकाधकी सुरसुघतिसाधकाः । श्री साम सुंदर सुचिमा प्रधानःस्पास्यगणना निगवंगना सानाम्॥ कारातिशुरु शक्तिरपदमश्री मामसुंदर राग रिमाना राममा नाग्यानगमन। पज्ञा प्रकरि व्हिनःचहिताय सोम साना मामनगरच्या मिकाव्ये ||१३||रा का कर्जवानियासमोर णमन्यारा कराण कीड साराजवदना वदनानि रामंधाना यनंधकर सुंदर मंदिरा ।।१२ गदं सुषमांविषमा निमानाद नंद नुजजि नगरी गरीयो । लंकाल काम दगढ़ छिदि द्यावे यंत्र लादना दिपुर में सिधुरंपुरा ॥ १३युग्मे ॥ प्रच्कादन चिनिपनि र्फ पनि मोहा निः श्रथ र्बुदाचन विषुः स मन्त्रयतर्वनिनशूनामविद्दिनंदि) लियो से छापितं पुर मिर्दमु दिन जो ॥खनावे पत्र मिरमणीरम एपी हारे स्फारविहारसम्म मकैः रयच। धीयास्यथा श्वरेिक विश सारा कारागापुर महाद्विपरार्ध झा ॥ २४ सम्य गृहशांविरचिनांद्भुत विज्ञाने त्याचा फणामणिनिरसनमः समूहं । विना यशांतिकरणे सोमसौभाग्य काव्यनी(वि. सं. १५२४) रचना थया बाद मात्र सात वर्ष पछी लालपुरमा वि. सं. १५३१ना वैशाख सुदि ८ ने गुरुवारे गोपाल द्वारा लखायेल हस्तप्रतनुं प्रथम पत्र. रचना समयथी नजीकना समयमां लखायेली प्रस्तुत प्रतमां पदच्छेद सूचक संकेतो, संधि सूचक चिह्नो, विशेष पाठ माटे वपरायेल लालरंग, पत्रनी मध्यमां खाली फुल्लिका, लाल रंगमां करायेली त्रण पार्श्वरेखा अने प्रतिलेखकना सुंदर अक्षरो जेवी विशेषताओ प्रतनी महत्तामां अने शोभामां अभिवृद्धि करे छे. Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SR No.525299
Book TitleShrutsagar 2015 04 Volume 01 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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