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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक पुरातन प्रतिमानो परिचय मुनि श्री सुयशचंद्रविजय ऐतिहासिक सामग्री जाळववी ते एक वात अने ते जाळवेली सामग्रीने तत्सम के अन्य तद् विषयक सामग्री मेळवी लोको समक्ष ते वस्तुने ऐतिहासिक सिद्ध करवी ते बीजी वात. जैन समाजे आवी केटलीय सामग्रीओने जाळववानो प्रयत्न तो कर्यो ज छे, साथे साथे ते सामग्रीओना उपयोगथी नवा-नवा घणां ऐतिहासिक पदार्थों रजु पण कर्या छे. आपणे त्यां मळता प्राचीन/अर्वाचीन शिलालेखो, प्रतिमा लेखो, ताम्रपत्रो, पुष्पिकाओ उपरोक्त बाबतमां विशेष नोंध पाल छे. आपणे अहिं एक एवी ज ऐतिहासिक प्रतिमा अंगे विचार करीशु. प्राचीन-अर्वाचीन बन्ने परंपरामा प्रतिमानी पाछळना भागमां पाटली उपर के आजु-बाजु पडखे गादी उपर संवत्, तिथि, ज्ञाति, वंश, गोत्र, गच्छ, गुरूभगवंतन नाम, परमात्मा नाम, प्रतिमा भरावनार श्रावक-श्रावकादिनु नाम, स्थान के प्रतिमा भराववा प्रयोजन जेवी प्रासंगिक माहिती अल्प शब्दोमां नोंधाती. क्यारेक तो फक्त संवतना आलेखन द्वारा प्रतिमा स्थापन काळनी नोंध रजू कराती. क्यारेक काळक्रमे के वाळाकुची वगेरेना घसाराथी ते लेखो तो शुं प्रतिमाना आंख, नाक, मुखारविंदने पण घणु नुकसान पहोंचतु. आवा समये प्रतिमाजीनी रचना शैलीने ओळखी तेना स्थापन समयनो निर्णय करवो अघरो थई पडतो. पण त्यारे जो परिकरादिथी युक्त प्रतिमा होय तो तेना परथी समयनो अंदाज काढवा प्रयत्न करता. प्रस्तुत लेखमां (अंदरना आवरण पृष्ठ उपर प्रकाशित) आपणे एवी ज एक धातु प्रतिमाजीना समयनो तेमज प्रतिमाजीनो परिचय करीशु. __ भव्य मुखाकृति, उन्नत शिखा, दीर्घ कर्ण, सप्रमाण शरीर आवी तो घणी विशेषताओ प्रथम दृष्टिए ज हृदयमा अहोभाव प्रगटावे छे. साथे साथे प्रतिमाजीना ज एक भाग रूपे रहेलुं जिन परिकर प्रतिमानी सुंदरतामां वधारो करे छे. मूळनायक पार्श्वनाथ प्रभुनी बन्ने बाजु नाळबद्ध कमळ पर कायोत्सर्ग आसने स्थिर बे जिनेश्वर परमात्माने जाणे शरीरनुं आभामंडळ होय तेवू सुंदर परिकर छे. लांछन न होवाथी ते बे परमात्मा कया छे ते नक्की थइ शकतु नथी. प्रतिमाजी त्रितीर्थी छे. मूळनायक परमात्मानी आजु-बाजुमां बिराजमान काउसग्गीया प्रतिमाजीना भामंडळनी किनारीओमां कमळपांदडी अने वेलीनुं अंकन जोवा मळे छे. तो उपरना भागे रहेलुं छत्र परमात्मानी शोभामां अभिवृद्धि करे छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525299
Book TitleShrutsagar 2015 04 Volume 01 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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