SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR MARCH-2015 एहवू सांभलीने महासतीइ वेस्या ने कहे अमे कुडु न बोलुं, युगतुं वचन बोलुं इम कहीने महासतीइं कुबेरदत्तने अनें वेस्याने सघलो संबंध कह्यो. एहवा वचन सांभळी बीहुने पश्चाताप हुओ. ए संसार असार जांणीने अहो एवं जीवे अनंतिवार सुख पाम्या पण जीवनें तृष्णा पूरण थई नहीं इम करतां वैराग्य ऊपनो ते इहां बीहुंजणा वैराग्य पामीने साधु पासे दीक्षा लीधी इम घणा छठ, अठम इत्यादि तप चारीत्र पालतां घणो तप तपी कर्मक्षय करी बीहुंजणा देवलोके पोहता ॥ इम जंबुकुमर प्रभवा प्रति कह्यो । एस्यो संसारमांहि कुटंबनो संबंध छे. तेह भणी तुं संसारने विषे कुटंबनो मोह किसो किजें ए संसारने विषे कोइ कोइनो नथी, सहु आप स्वारथी छे. अनें ए जीव जायो तो मरवानें काजें तेह भणी एह कुटंब ऊपरे मोह न कीजे इम जंबु प्रभवा चोर भणी अढार नातरानी कथा कही। ॥इति अढार नातरानी कथा संपूर्ण। ॥लि. मु. रत्नसागर ॥॥ सं. १८७१ प्रथम भाद्रवा वदि १४॥ अहोभाव अल्प मुलाकातनो आचार्य श्री पद्मसागरसूरीजी के चरणो में वंदन । ज्ञानमंदिर हमारे देश की संस्कृति एवं विरासत को संरक्षित करने का एक अति महत्त्वपूर्ण, प्रेरणास्पद भगीरथ प्रयास है । संस्था के प्रबंधन को मेरा प्रणाम एवं आभार डॉ. ललित के. पंवार IAS, सचिव पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार For Private and Personal Use Only
SR No.525298
Book TitleShrutsagar 2015 03 Volume 01 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy