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श्रुतसागर
____मार्च-२०१५ गोमुखी गंगा तिहां वहइरे हां, नाहइं मिथ्यामती(ति) लोक मेरे मनि वसिउ। तिहांथी आघउ चालीउरे हां, ऊतरिउ मन भंग थोक मेरे मनि वसिउ ॥४॥
भाव सहित करउं जात्र... नालेरासरे पेखीउरे हां, कौतक जोयां वडी वार मेरे मनि वसिउ। औषधी तिहां उगी घणीरे हां, जाइ जूही कणी(णि)आर मेरे मनि वसिउ॥५॥
भाव सहित करउं जात्र... अंब कदंब अर्जुन घणारे हां, व(ब)कुल चंपक बहु वृंद मेरे मनि वसिउ। दमणउ मरूउ मोगरुरे हां, वउलसरी मचकुंद मेरे मनि वसिउ॥६॥
भाव सहित करउं जात्र... आगलि दीठी अर्बुदा रे हां, वालीनाह अहिठाण मेरे मनि वसिउ। अनुक्रमिं देलवाडइ आवीउरे हां, मोटा देउल मंडाण मेरे मनि वसिउ॥७॥
भाव सहित करउं जात्र... भोगल उल्लंघी(घि) मांहि गयउरे हां, दीठउ विमलप्रासाद मेरे मनि वसिउ। उत्तंग तोरण अभिनवउरे हां, सुरगिरिसिउं करइ वाद मेरे मनि वसिउ॥८॥
भाव सहित करउं जात्र... भमतीइं देहरी घणीरे हां, भद्रप्र(प्रा)साद अतिचंग मेरे मनि वसिउ। कोरणीइं मन हरखीउ रे हां, जोतां नव नव रंग मेरे मनि वसिउ ॥९॥
भाव सहित करउं जात्र... त्रिणि प्रदक्षिण साचवी रे हां, भेटिउ रिषभजिणंद मेरे मनि वसिउ। आरति चिंता सवि टली रे हां, पामिउ अधिक आनंद मेरे मनि वसिउ॥१०॥
भाव सहित करउं जात्र... संवत दसअठ्यासीइरे हां, मंत्री विमल सुजांण मेरे मनि वसिउ। तेणइ ए तीरथ थापीउरे हां, जाणे उदयु भांण मेरे मनि वसिउ॥११॥
भाव सहित करउं जात्र...
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