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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर . जनवरी-फरवरी - २०१५ आ संबंधी घणी बधी विशेष विगतो - श्राद्धप्रतिक्रमणसूत्र-प्रबोधटीका-भाग. २ (रजी आवृत्ति)मां पृ. ३६२ थी ४१६ उपरथी वांची लेवी. शांतिस्तव-कृति विगत : आ लघुशांतिस्तव उपर रचायेल साहित्यनी नोंध नीचे मुजब छे. १. हर्षकीर्तिसूरि कृत टीका - रचना सं. १६२८ (प्रका.) २. सिद्धिचंद्रगणि कृत टीका - रचना सं. १६९० (प्रका.) ३. धर्मप्रमोदगणि कृत टीका - (प्रका.) ४. अज्ञात कर्तृक टीका* - (अप्र.) ५. अज्ञात कर्तृक बालावबोध* - (अप्र.) ६. अज्ञात कर्तृक बालावबोध* - (अप्र.) ७. दयाकीर्तिवाचक कृत बालावबोध* - (अप्र.) महोपाध्याय गुणविनयनी : महोपाध्यायजीन जन्मस्थळ-माता-पिता-जन्मसमय-बाळपणनुं नाम-दीक्षापदप्रदान-स्वर्गवास वगेरे कोई उल्लेख प्राप्त नथी. परंतु तेमना रचेला ग्रंथोना आधारे केटलीक विगतो प्राप्त थाय छे जे नीचे मजब छे - * खरतरगच्छीय क्षेमशाखा प्रवर्तक क्षेमकीर्ति वाचक नी परंपरामां वाचक क्षेमराज - उपा. प्रमोदमाणिक्यना शिष्य अनेक ग्रंथोना सर्जक उपा. जयसोमना तेओ शिष्य हता. * तेमनो जन्म सं. १६१२-१६१३नी आसपास, दीक्षा सं. १६२०-१६२१नी आसपास, गणिपद सं. १६४१-१६४४नी आसपास, उपाध्याय पद सं. १६६३ पूर्वे, स्वर्गवास वि. सं. १६७६ पूर्वे थया हता. * 'फलवर्द्धि पार्श्वनाथ' ते तेमना परमोपास्य हता. तेमना घणा ग्रंथोमां (मंगलाचरणमा) तेमणे तेमने अचूक स्मर्या छे. * तेओ जैनागम-साहित्य-व्याकरण-कोश-लक्षणशास्त्रना प्रौढ विद्वान हता. प्राकृत-संस्कृत-अने राजस्थानी भाषा पर तेमनुं प्रभुत्व हतुं. * तेमना द्वारा रचायेला अनेक ग्रंथरत्नो प्राप्त थाय छे. . १.. विचाररत्नसंग्रह २. सव्वत्थ-शब्दार्थ समुच्चय ३. खण्डप्रशस्ति-सुबोधिनी टीका ४. नेमिदूत-टीका * शांतिस्तव कृति विगत पर क्रमांक नं. ४, ५, ६,७ उपर नोंधायेल कृति विगतो ज्ञानमंदिरमां संगृहीत छे. - संपा. For Private and Personal Use Only
SR No.525297
Book TitleShrutsagar 2015 01 02 Volume 01 08 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages82
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size7 MB
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