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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी आचार्य बुद्धिसागरसूरिजी तत्त्वज्ञान तत्त्वज्ञान विनाना जैनो पोतानु तथा परनुं भलं करी शकता नथी. ज्ञान विना कयु सत्य अने कयु असत्य ते जणातुं नथी. ज्ञान विना जगत्तुं स्वरूप समजातुं नथी. ज्ञान विना तीर्थंकरोनां लक्षण तथा गुरुनु तथा धर्म- लक्षण जाणी शकातुं नथी. ज्ञान विनानी धर्मक्रियाओ अंधनी क्रियाओनी माफक अल्प फळ देनारी थाय छे. पंच प्रतिक्रमण पोपटनी पेठे गोरखी गया, नवस्मरण गोखी गया, अर्थ विना शुद्ध उच्चार करी प्रतिक्रमणना सूत्रोने बोली गया, एटला मालथी कंई जैनतत्त्वज्ञानना प्रोफेसर बनी शकातुं नथी, माटे पोपटनी पेठे गोखणीयु भणी कोईए पोताने जैनतत्त्वज्ञानी मानी लेवानी अहंदशा करवी योग्य नथी. ___ नवतत्त्व, कर्मग्रंथ, सूत्रोना आशयो, नय, निक्षेपा, सप्तभंगी अने अध्यात्मज्ञाननां तत्त्वो समजवाथी जैन बनी शकाय. जैनतत्त्वज्ञान विना केटलाक क्रियाओ करे छे, पण हृदयनी उच्च दशा करी शकता नथी. करोडो वर्ष पर्यंत तप जप करीने पण अज्ञानी, जे आत्मानी शुद्धि करी शकतो नथी, तेटली आत्मानी शुद्धि ज्ञानी श्वासोश्वासमां करे छे. का छे के : ज्ञानी श्वासोधासमां, करे कर्मना खेह ज्ञानविना व्यवहारको, कहा बनावत नाच रत्न कहो कोइ काचकुं अन्त काचको काच क्रिया शून्यं च यज्ज्ञानं, ज्ञानशून्यं या क्रिया। अनयोन्तरं ज्ञेयं, भानुखद्योतयोरिव ॥१॥ देश आराधक किरिया कही, सर्व आराधक ज्ञान ॥ ज्ञानतणो महिमा घणो, अंग पंचमे भगवान् । पढमं नाणं तओ दया, पढमं नाणं तओ किरिया॥ ईत्यादि वाक्यो पण क्रिया करतां ज्ञाननी महत्तामा साक्षी पुरे छे. ज्ञान सूर्य समान For Private and Personal Use Only
SR No.525296
Book TitleShrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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