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Acharya Shrik
संपादकीय
हिरेन के. दोशी श्रुतसागरनो सातमो अंक तमारा हाथमा छे.
नाकोडा तीर्थमां सूरिसिंहासनारोहण महोत्सव सोनेरी अक्षरोमां लखाई जाय ए रीते उजवाई गयो. प्रसंगनी विशेषताओना साक्षी बनी सहु प्रभुभक्तो अने गुरुभक्तो भावविभोर बन्या. महोत्सव तो उजावई गयो पण स्मृत्तिमां आजेय एनी छाप अमीट रही छे. केटलीक क्षण सोना जेवी होय छे क्यारेय एने विस्मृतिनो काट लागतो नथी. वरसो वरस ए तेज स्मृत्तिमां चळकतुं रहे छे. एवो ज आ प्रसंग रह्यो. पूज्यपाद गुरुदेवश्रीनी पुनित छत्रछायामां अने एमना द्वारा आ प्रसंग खूब सुंदर रीते संपन्न थयो. आ अंकनी वात:___ आ अंकथी पूज्यपाद योगनिष्ठ आचार्यदेवश्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा लिखित तीर्थयात्रानुं विमान ए पुस्तकमाथी चूंटेला अंशने गुरुवाणी हेठळ प्रकाशित करवामां आव्यो छे. तो साथे साथे पू. बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा रचित आत्मश्रद्धा काव्य आ अंकमां प्रकाशित करेल छे. तो साथे साथे आ अंकमांवाचकोनी मांगणीने अनुसार अंग्रेजी भाषामां पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा अपायेल गणधरवाद विषयक प्रवचनना अंश आ अंकमां प्रकाशित कर्या छे.
अप्रकाशित कृतिनी श्रेणिमां आ वखते उत्तमविजय कृत एक लघु कृति 'गुरु गुण गंहुली' अत्रे प्रकाशित करी छे. कृतिनी प्रस्तावनामां कृतिनो परिचय, कर्तानो परिचय, अने एनी विशेषताओनी नोंध थवा पामी छे. जे वाचकोने उपयोगी बनशे.
कथा विषयक के कथा साहित्यने आवरी लेतुं साहित्य जीवननी आध्यात्मिक संपदामां घणुं उपयोगी अने प्रबळ रीते लाभकारी सिद्ध थयुं छे. अन्य त्रण अनुयोगनी अपेक्षाए कथानुयोग सुगम छे. कथानुयोगनी विशेषताओने वाचा आपतो लेख 'कथानकोनी विराट सृष्टि आपणी अमूल्य संपदा छे' आ अंकमां प्रकाशित करेल छे.
जूना मेगेझिनोमाथी पुनः प्रकाशित थता लेखोनी श्रेणिमा पुरातत्त्व नामना मेगेझिनमांथी 'हस्तलिखित पुस्तकोमा आवेला चौलुक्य राजाओना संवतो' आ अंकमा प्रकाशित करेल छे. हजु पण आ संवतोनी यादीमां उमेरो थई शके छे. आ प्रकारनो उमेरो थशे तो लेखनु प्रकाशन सार्थक थयु गणाशे.
दर अंके प्रकाशित थती पुस्तक समीक्षामां आ वखते सूत्र संवेदनाना भाग एकथी सातनो संक्षिप्त परिचय प्रकाशित थयेल छे.
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