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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 31 श्रुतसागर दिसम्बर-२०१४ के प्रशिष्य आचार्य श्री विवेकसागरसूरीश्वरजी महाराज के शिष्य मुनिप्रवर श्री कल्याणपद्मसागरजी म. सा. द्वारा संकलित एवं संपादित श्री तपागच्छ गुर्वावली का विमोचन श्री नाकोडाजी तीर्थ पर सूरि-सिंहासनारोहण महोत्सव के पावन अवसर पर श्री प्रेमचंदजी गोलिया एवं श्री चांदमलजी गोलिया के कर कमलों से सम्पन्न हुआ. जिनशासन की पट्टपरम्परा के इतिहास को और उसमें भी तपागच्छ की गुर्वावली पर ध्यान केन्द्रित करते हुए प्रस्तुत ग्रंथ में विजय हीरसूरीश्वरजी महाराज की पट्टपरम्परा में उपाध्याय सहजसागरजी म.सा. की पट्टपरम्परा को विशेषरूप से उजागर करते हुए महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों को प्रस्तुत किया गया है. अन्त में योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज की पट्टपरम्परा की सूचनाएँ जो अन्यत्र अनुपलब्ध हैं, का भी सुन्दर संकलन किया गया है. राष्ट्रसन्त आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के आशीर्वाद एवं तपोमूर्ति आचार्यदेव श्री वर्धमानसागरसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा से संकलित एवं संपादित इस ऐतिहासिक ग्रंथ का प्रकाशन श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा द्वारा किया गया है. __ जैन गच्छमत प्रबंध का पुनः प्रकाशन सम्पन्न हुआ पूज्य योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा लिखित जैन गच्छमत प्रबंध का विमोचन श्री नाकोड़ाजी तीर्थ पर सूरि-सिंहासनारोहण महोत्सव के पावन अवसर पर श्री महुडी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट के ट्रस्टीश्रीयों के कर कमलों से सम्पन्न हुआ. इस ग्रंथ का पुनः संपादन आचार्य श्री कैलाससागरसूरी ज्ञानमंदिर, एवं प्रकाशन श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा द्वारा किया गया है. जिसके संयोजक मुनिप्रवर श्री कल्याणपद्मसागरजी म. सा. हैं. इस ग्रंथ का प्रकाशन विक्रम संवत् १९७३ में अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मंडल, मुबई द्वारा किया गया था. लगभग एक शताब्दी के बाद मुनिप्रवर श्री कल्याणपद्मसागरजी ने सत्प्रयास से यह ग्रंथ पुनः संपादित होकर श्रीसंघ के समक्ष प्रस्तुत हुआ है. इस ग्रंथ में योगनिष्ठ आचार्यश्रीजी ने प्रभु महावीरस्वामी के शिष्य श्री सुधर्मास्वामीजी की प्रवाहित पाट परम्परा में विशिष्ट शक्तियों एवं प्रतिभा के आधार से जो भिन्न-भिन्न गच्छ उत्पन्न हुए उनका वर्णन उस समय उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर किया है. श्री नाकोड़ाजी तीर्थ पर सूरि-सिंहासनारोहण महोत्सव के पावन अवसर पर ग्रंथों के विमोचन की शृंखला में पूज्य आचार्य श्री विमलसागरसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा संकलित एकाधिक C. D. का भी विमोचन किया गया जिसमें महुडी के गुरुदेव, मंत्र सागर एवं विमल वाणी के नाम प्रमुख हैं. For Private and Personal Use Only
SR No.525296
Book TitleShrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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