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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 16 DECEMBER-2014 द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, चरणकरणानुयोग अने धर्मकथानुयोग छे. धर्मकथानुयोगमां त्रिषष्टिशलाकापुरुष आदि महात्माओ दानी, श्रावक श्रेष्ठीओ, सती स्त्रीओना प्रेरक जीवनने कथानको द्वारा वर्णववामां आव्या छे. जैन कथासाहित्यमा ज्ञाताधर्मकथा आगममां साडा त्रण करोड कथाओ हती तेवी श्रुतपरंपराथी माहिती मळे छे. परंतु आजे आटली मोटी संख्यामां कथाओ उपलब्ध नथी. ____ कथानुयोग ए सामान्य जनसमूह माटे धर्ममार्गमा प्रवेशद्वारनी भूमिका पूरी पाडे छे. कथा-लोककथा ए साहित्य- हृदय छे. आबालवृद्ध गरीब-तवंगर, साक्षर, निरक्षर सर्व कोईने कथा समस्वरूपे एकसूत्रताथी जकडी बांधी राखे छे. आ उपरांत तेनी विशेषता ए छे के एने जेटली सांभळवा के वांचवामां आवे एटलीज सहेलाइथी, सरळताथी ते हृदयंगम थई शके छे. आथीज प्रत्येक धर्माचार्योए पोतानो धर्मोपदेश कथाना माध्यम द्वारा करवान योग्य, उचित मान्यु छे. मानवजीवनमा धार्मिक संस्कारोना सिंचन माटे कथाथी उत्तम सरळ, सहज अने योग्य कोई माध्यम नथी अने आथी ज विश्वना प्रत्येक धर्ममा कथासाहित्यनी लोकप्रियता, प्रचलितता व्यापकपणे जणाय छे. भगवान महावीरे धर्मोपदेश दरमियान धर्म, विज्ञान अने तत्त्वदर्शन जेवां गूढ अने गंभीर तत्त्वोने अधिक सरळ, सुगम, सुबोध अने रुचिकर बनाववा माटे कथानो आश्रय लीघो जेने आगमसाहित्यमां संग्रहीत-संकलित करवामां आव्यो. __ आगम साहित्य पछी क्रमशः थती कथारचनामा परिवर्तन आवतुं गयु. आगममांथी प्राप्त कथाओ, चरित्र अने महापुरुषोना जीवनना नाना-मोटा अनेक प्रसंगोमाथी मूळ कथावस्तुमा अवांतर कथाओनु संयोजन अने मूळ चरित्रना पूर्वजन्मोनी घटनाओने समृद्ध करवी, एनी कथावस्तुनो विकास अने विस्तार करवानी पश्चाद्वर्ती शैली बनी गई. जे शैलीनो प्रभाव रामायण, महाभारत के जातकथी मांडीने चारित्रो, पारायणो, आख्यायिका, कथाकोशो ईत्यादिमां परंपरागत रीते जणाई आवे छे. विश्वभरनां धर्म अने साहित्यए दृष्टांतकथानो सहारो लीधो छे. बाळदशाना श्रोताओ अने वाचकोने धर्म अने तत्त्वनां गहन रहस्यो सरळताथी रसमय रीते समजाय एतेनो मुख्य उद्देश छे. कथाओ द्वारा परिचिततानी माधुरी अने अपरिचिततानो आनंद आपी शकाय छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525296
Book TitleShrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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