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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हस्तप्रत लेखन परंपरा से सम्बद्ध विद्वान परिचय संजयकुमार झा (गतांक से आगे...) व्याख्याने श्रुत-प्रतिलेखक द्वारा लिखित प्रत पर से साधुभगवन्त द्वारा व्याख्यान दिये गये हों तथा जिस श्रावक, शेठ, संघपति आदि के द्वारा व्याख्यान काल में पाठ सुने गये हों. उस प्रत के प्रतिलेखन पुष्पिका में “व्याख्याने श्रुतम्” के उल्लेखपूर्वक व्याख्याता, श्रोता आदि के नाम दिये होते हैं. उसी शब्द को ग्रहण करते हुए वह नाम संकलन किये हुए मिलते हैं. समर्पित-प्रतिलेखक द्वारा लिखित किसी प्रत को या स्वद्रव्य व्यय करके किसी प्रत को लिखवाकर किसी साधुभगवंत को जब समर्पण किया जाता है, अथवा तो ज्ञानपंचमी, उपधान, पर्युषणादि विशेष अवसर पर ग्रंथ वहोराया जाता है तथा उसका उल्लेख प्रतिलेखन पुष्पिका में जिसके लिये समर्पितम् ऐसा लिखा हो, ऐसे नाम को विद्वान प्रकार 'समर्पित' के रूप में जाना जाता है. उदाहरणार्थ प्रतसंख्या-३५ महानिशीथसूत्र नामक प्रत की पुष्पिका देखी जा सकती है कि श्रावक माणेकलाल चुनीलाल ने वि.सं.१९९६ में प्रतिलेखक कस्तूरचंद व्यास के द्वारा मुंबई में प्रत लिखवाकर पूज्य पंन्यास श्रीप्रीतिविजयजी को समर्पण किया है. चित्कोषे (ज्ञानभंडारे) स्थापित-प्रतिलेखन पुष्पिका में उल्लिखित जिस व्यक्ति द्वारा ज्ञानभंडार में हस्तप्रत स्थापित करायी जाय, उनका नाम यहाँ मिलता है. उदाहरण के लिये प्रतसंख्या-६५४ ठाणांगसूत्र सह वृत्ति की प्रतिलेखन पुष्पिका में यह उल्लेख मिलता है-वि.सं.१७०५ में अंचलगच्छीय आ. कल्याणसागरसूरि के राज्य में धवलकनगर के ग्रंथागार में यह ग्रंथ वाचक विजयशेखर गणि के शिष्य मुनि गणेश ने भव्य जीवो के पठन-पाठन हेतु रखा. गृहीत-यहाँ समर्पित के भाँति इस विद्वान प्रकार को समझ सकते हैं. अन्तर इतना ही है कि समर्पित में मात्र साधुभगवन्त को प्रत समर्पण करते हैं. इस प्रकार के अन्तर्गत सामाजिक व्यवहार में जैसे कोई वस्तु की लेन-देन होती है उसी प्रकार प्रतों का भी आदान-प्रदान होता है. यहाँ ग्रहण करनेवाले व्यक्ति के नाम को संयोजन करने हेतु इस विकल्प का चयन करते हैं. प्रत संख्या १४९ के अंत में वि.सं.१५८० में श्रावक वच्छ शाह द्वारा प्रदत्त प्रत श्रावक नरसिंघ शाह द्वारा ग्रहण किये जाने का उल्लेख मिलता है. जिसे विद्वान प्रकार 'गृहीत' के रूप में दर्शाया गया है. For Private and Personal Use Only
SR No.525295
Book TitleShrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size7 MB
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