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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योगनिष्ठ आचार्यश्री बुद्धिसागरजीकृत 'आत्मदर्शन' अने आत्मतत्त्वदर्शन' - ग्रंथो विशेथोड्रंक क कनुभाई ल.शाह आत्मदर्शन : पृ. ९२ ज्ञान अनंत छे. तेना प्रकार अनंत छे. मानवी पोतानी ढूंकी जिंदगीमां सर्व ज्ञान प्राप्त करी शके नहि. तेथी सर्व ज्ञानना पायारूप अने साररूप तत्त्वज्ञान प्राप्त करवा संबंधी मनुष्ये विचारणा करी लेवी जोईए. चेतन-अचेतननो भेद समजवा माटे तत्त्वज्ञाननो सहारो लेवो जोइए. मनुष्यमा रहेलुं आत्मतत्त्व सर्व तत्त्वोमां महान होइ एमनी जाणकारी मेळववा पुरुषार्थ आदरवो जोईए. प्राचीन काळथी आत्मतत्त्वतुं स्वरूप जाणवा मनुष्यो प्रयत्न करी रह्या छे. केटलाक ते पाम्या छे, केटलाक अधूरा रह्या छे अने केटलाक नथी पण पाम्या. कोइ कोइ दृष्टाओ पोतानु ज्ञान अन्यने माटे मूकता गया छे. श्रीमद् पोते तत्त्वज्ञाननो अनुभव करवा मथ्या. पोताना अनुभवे मेळवेली तत्त्वज्ञाननी अनुभवगम्य छाप पोतानां पुस्तकोमा मूकता गया छे. तत्त्वज्ञान अध्यात्मना ग्रंथोमां तत्त्वनी चर्चा तेओए करी छे. परमात्मा दर्शन तेओए कर्यु छे ते तेमणे तेमना तत्त्वज्ञानना ग्रंथोमां भिन्न-भिन्न शैलीथी समजावटनुं कार्य कर्यु छे. - मुनिराज अध्यात्मज्ञानी आत्मोपयोगी श्री मणिचन्द्रजी महाराजे एकवीश सज्झायोनी रचना करेली तेना पर वि. सं. १९८०ना पेथापुरना चातुर्मास दरमियान विवेचन लखी आ ग्रंथ वि. सं. १९८१मां महूडीथी प्रकाशित थयो छे. श्री मणिचन्द्रजी महाराज श्वेताम्बर तपागच्छीय श्वेत वस्त्रधारी आत्मार्थी आत्मज्ञानी महासंत हता. तेमने रक्तपित्तनो महारोग थयो हतो. तेओ अध्यात्मज्ञानी होई स्वभावे रोगने सही आत्मपयोगे सहज समाधिमां लीन रहेता हता. पू. मणिचंद्रजी महाराज दोढसो वर्ष पूर्वे थई गया. श्रीमदे एमनी एकवीश सज्झायो विवेचन लखीने 'आत्मदर्शन' नामनो ग्रंथ प्रकाशित कर्यो न होत तो पू. मणिचन्द्र महाराज विशे अने एमने लखेली सज्झायो विशे बहु ओछा लोको जाणता होत. पू. मणिचन्द्रजी महाराज एक विरल आत्मार्थी हता. एमणे लखेली सज्झायो तत्त्वज्ञानथी सभर छे. काव्य तत्त्वनी तेमज अध्यात्मनी दृष्टिए एमनी रचनाओ ऊंची कोटिनी छे. पू. मणिचंद्रनी सज्झायोमा वर्णवायेल अध्यात्मिक दृष्टि अने वैराग्यपूर्ण पदोनी भावना झळके छे तेना गूढार्थ अने गंभीरता तेमज ज्ञान वैराग्य रसने सामान्य मानवीने For Private and Personal Use Only
SR No.525295
Book TitleShrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size7 MB
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