________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SHRUTSAGAR
12
OCTOBER 2014
आव्यो छऊ. एकाद अठवाडीआमां मन्दुर मरिजने शारू जणाता गणदेवी जवानुं थशे. पत्र व्यवहार त्यांज थवा देशोजी.
आपनी सूचना आग्रामां आपणा पूज्य गुरुश्रीनी लाईब्रेरी' जोवा लायकनी जणावी त्यां जवा आग्राह कर्यो. हुं त्यां जरूर जईश. बनशे तो एकाद दिवस त्यां रही ए सद्गत गुरुश्रीना स्मारकरूप फोटो, मूर्ति के अन्य कांइ स्थापना हशे तो तेने वांदीश. तेमनी चरणरज मारी आंख मांथे चडावी कृतकृत्य थइश. त्यांना व्यवस्थापक महाथयने मारा त्यां आगमन टाणे मने मददरूप थाय तेम भलामण लखी जणावी आभारी करशो.
मारी मुसाफरी सुरत- वडोदरा - गोधरा - रतलाम - मथुरानी थतो मथुरां उतरी ग्वालीअर तरफ जती जी.आइ.पी रेल्वेमां मुसाफरी करीश. (थवा धारणा छे)
मारे साथेमां बिछानुं इत्यादि शुं जोइशे ते जो लखशो तो बनती तजवीज करीश. जो के हुं तो मारा कोइ पुण्योदयना प्रतापे योगी अने ज्ञानीना घरमां अवतार लेवा ज आवुं छु तेथी मारे तो अपरिग्रहनो अभ्यासी थवं छे छतां परिग्रहना पदार्थोनी बहुलता
थवानी छे. अने ते सघलो प्रताप पेली 'उपमिति भवप्रपंचकथा' मांहेना सदागम नामना पात्र अर्थात् श्री गुरु अने तेमना पाटे आवनाराओ आप सउ अंतेवासीओनो ज छे. आ जीव निमित्त मात्र ज छे.
'उपमिति भवप्रपंचा कथा' पूरी करी श्रीतत्त्वार्थसूलनां तण सूत्रो ज थयां अने हुं अहि आव्यो छउ पण हवे तो सदागमरूप आपश्री जीवता सूत्रो अने आगमो रूप गत सिद्धपुरुषोना करुणाना पात्ररूप थवानो तो ज्ञाननी तो भूख भांगवानी ज छे.
श्री न्यायविजयजी महाराज विहारमां छे मने छेल्लो पत्र आपनो मारा प्रत्येना आज्ञा संबंधनो हतो बाद विशेष जाण तेओ साहेब तरफथी मुद्दल ज नथी. उमेद राखु छउ के आपनी सेवामां आवतां पूर्वे एक वखत वांदीश (दर्शनसमागमरूप पासपोर्ट मेलवीश.)
आपनो प्रभावना रूप पत्र पांच वखत फरी फरी वांची हर्षित थाऊं छउ. जो के हर्ष प्रशस्त छे पण परिग्रहरूपे तो ठीक ज नथी. द्वंद्वातीत थवाना अभ्यासी थईशु. केवळ निर्वाणपदना पूजक छइ.
जैन साहित्यरूप विद्यामहासागरमां हवे तो मनगमता तरशुं. कसरत करीशुं अने ए सर्वमां आप तरतां शीखवाडनारा छो. हवे फिकर ते बा. (बाबत) नी तो पूरी थइ छे. चित्तने चिंतन तो चिंतव्यनुं ज होय.
१. वर्तमानमां आ भंडार आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा खाते संग्रहित छे.
For Private and Personal Use Only