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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ग्रन्थसूची प्रोग्राम में कृति-वंशपरिचय रामप्रकाश झा कृति का परिचय : कृति शब्द का अर्थ है “किया गया, रचा गया अथवा निर्माण किया गया". आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में किसी व्यक्ति के द्वारा गद्य, पद्य अथवा मिश्रित (गद्य पद्य संयुक्त) रूप में किसी खास विषय को लेकर की गई शब्दबद्ध रचना को कृति कहा जाता है. ___ यदि स्वतंत्र रूप से किसी विषय का प्रतिपादन किया जाता है तो उसे मूल कृति कहते हैं. जैसे- प्रत्येकबुद्ध द्वारा रचित 'उत्तराध्ययनसूत्र' मूल कृति है. यदि मूल कृति के ऊपर अनुवाद, टीका, भाष्य, टबार्थ, बालावबोध आदि किसी भी रूप में कृति की रचना की जाती है, तो उसे मूल कृति की 'संततिरूप' कृति कही जाती है. पुत्रपौत्रादिरूप वह कृति उस मूल कृति परिवार के सदस्य के रूप में जानी जाती है. आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर की अनोखी सूचीकरण प्रणाली व तदनुरूप विशेष रूप से बने लायब्रेरी प्रोग्राम में मूल कृति का स्तर 'A' निर्धारित किया गया है तथा उसके पुत्र-पौत्रादि रूप कृतियों का क्रमशः B, C, D, E, F... आदि स्तर निर्धारित किया गया है. प्रायः सभी ग्रन्थालयों में पुस्तक के ऊपर छपे हुए नाम से अथवा लेखक या सम्पादक आदि के नाम से पुस्तकें ढूँढ़कर वाचकों को दी जाती हैं. परन्तु आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर की यह विशिष्टता है कि यहाँ विद्वानों, संशोधकों तथा सम्पादकों की सुविधा हेतु पुस्तक नाम के आधार पर, कृति के आधार पर, विद्वान तथा कृति रचना वर्ष के आधार पर, यहाँ तक कि कृति के प्रारम्भिक व अन्तिम पाठ के आधार पर भी हस्तप्रत, पुस्तक आदि की शोध की जाती है. पुस्तक के ऊपर छपे हुए नाम को प्रकाशन नाम, हस्तप्रत के ऊपर प्रतिलेखक के द्वारा लिखे गए नाम को हस्तप्रत नाम तथा कर्ता के द्वारा दिए गए नाम को कृति नाम कहा जाता है. इस ज्ञानमन्दिर में उपलब्ध प्रत्येक कृति का मुख्य नाम, प्रचलित नाम, कर्तानाम, भाषा, स्वरूप, प्रकार, कृति परिमाण, आदि-अन्तिमवाक्य, रचनास्थल, रचनाकाल, (वर्ष, मास, पक्ष, दिन आदि) रचना प्रशस्ति के अन्तर्गत प्राप्त विशिष्ट घटमाओं, राजादि का वर्णन, संघयात्रा आदि का वर्णन, गुरुपरंपरादि की सूचना तथा वह कृति For Private and Personal Use Only
SR No.525293
Book TitleShrutsagar 2014 09 Volume 01 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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