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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय गया अंकथी के टलांक महत्त्वना फेरफारो आ पत्रिकामा थया, जे आवश्यक हता... श्रुतसागर पत्रिकामा रजि.नी रारकारी प्रक्रियामाथी पसार थई रह्या छीए... पूर्ण थवानो तवक्की नजीक छे. अने एटला ज माटे आ प्रकारना फेरफारो करवामां आव्या छे. गैश्विक स्तरे जैन साहित्यनी मौलिकताने उजागर करवी होय तो आ प्रकारनी प्रक्रिया घणा अंशे मददरूप अने सरळता आपे छे. अने एटले ज आ पत्रिकाने ए प्रक रना तमाग फेरफारो आप्या छे. अरनु... केटलांक पर्वो एक दिवसना होय छे. केटलांक पर्यो बे दिवसना होय छे. केटलांक ऋण, चार के एथी पधु दिवसना होय छे. पण चातुर्मासनू पर्व... चातुर्मासर्नु पर्द चार महिनामुं होय छे. ऋतुना प्रभाव थती जीवहिंसाथी बचवा जिनशासनना अणगार पूज्य गुरुभगवंतो योग्य स्थान अने योग्य काळने अनुरूप पोते चार महिना स्थिर थई पोतानी नजीक आवेला भव्यजीवोने स्वाध्याय, संयम अने तपागा बळथी अत्यंत री प्रभावित अने आराधनामय बनावता होय छे, चातुर्मासर्नु पर्व आम तो वरसाद अने एना कारणे थती विराधनाओथी बचवा माटेनी स्थिरता रूपे होवा छतांय परिणामे अनेक व्यक्तिओना जीवनमां आ पर्व परिवर्तनना पर्व रूपे अंकित थईने यादगार बनी जाय छे. चातुर्मारा दरमान पूज्य गुरुभमवंतश्रीनो मळतो संयोग आपणी आंतर चेतनाने आराधना साधना तरफ प्रेरे छे. अने एमनो संसर्ग आपणाम् | रहेली आराधकभावनी सुषुतिने खखेरे छे. पराक्रमने खोलवी आपतुं आ चातुर्मासमुं पुनित पर्व गणी शकाय एटला दिवस ज दूर छे. त्यारे दरेक आत्मार्थी अन आराधक आत्माओ आ पर्वना पुनित प्रसंगने पामीने जीवनने गुण वैभवथी समृद्ध करे.. आ अंकनी वात :- दर वखतनी जेम आ अंकग पूज्य गुरुभगवंतश्रीए आत्मविकासनी अने आत्मोन्नती विषय उपर आपेला मननीय प्रवचनने अत्रे प्रकाशित न करता आ अंकमां पूज्य गुरुभगवंतश्रीना जीवन परिचगने संक्षिप्त पण सारभूत रीते प्रकाशित कर्यु छे. आ अंकमां दर अंकनी जेम आ वखते जैन साहित्य संशोधकमां प्रकाशित फारसीभाषामय ऋ भजिन स्तवन अत्रे प्रकाशित कर्यु छे. वाचकोनी उपादेयता माटे स्तवननी साथे ए- संस्कृत अने गुजराती विवरण मूळ कडीनी साथै ज लेवानो तेमज कठिन शब्दार्थोगां पण योग्य कडी क्रमांक हेठळ शब्दो आपवानो फेरफार कर्यो छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525291
Book TitleShrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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