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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय श्रुतसागरनो ४०मो अंक आपना हाथमां छे. नानकडा बीजमां वृक्षनी घेघूर छाया फेलायेली होय छे. नानकड़ा तणखामां दावानळना दावानळ संतायेला होय छे. आशाना एकाद किरणमा निराशाना घोर अंधकारने चीरी नांखवानुं बळ छुपायेलुं होय छे. शब्दो भलेने नाना लागता होय छतांय जो एने योग्य निमित्तो मळे तो ए जीवननो मंत्र बनी जतां वार लागती नथी. बस ए ज रीते जीवनमां करेला संकल्पो पण सत्यनी जेम क्यारेय निष्फळ जता नथी. हां, एने योग्य वातावरण मळता के एने फळी- भूत थता समय लागे पण ए क्यारेय विफळ जता नथी. संकल्प साधना माटे बीज समान छे. दरेक धर्म अने दरेक दर्शन संकल्पनी शक्तिने स्वीकारे छे. दरेक परंपराए एने पोताना पारिभाषिक शब्दो आप्या हशे. पण मूळ एना स्वरूपमां कोई विशेष फेरफार जणायो नथी. संकल्पना बळ उपर ज साधनानी ईमारत चणाय छे. सिद्धि प्राप्त करवा माटेनो दृढ मनोभाव साधक पासे न होय तो साधना सिद्धिमां रूपांतरित थती नथी. व्यक्तित्वनो विकास होय के समष्टिगत उत्थान संकल्पना प्रभावे आगळ वधी शकाय छे. ए निर्विवादित रीते सिद्ध छे. तो, चालो... सुकृतोना संकल्पो करीए... साधनाना संकल्पो करीए.. आराधनाना संकल्पो करीए... जीवनने पवित्रतानी सुगंधथी भरीए... आ अंकनी वात :__ परम श्रद्धेय, राष्ट्रसंत, पूज्य गुरुदेवश्रीए आपेल प्रेरक प्रवचनोने गुरुवाणी हेठळ प्रकाशित कर्या छे. पूज्य गुरुदेवश्रीना आ प्रवचनो गुरुवाणी ग्रंथ हेठळ प्रकाशित थया छे. आ अंकमां पूज्य गुरुदेवश्रीए क्षमा उपर आपेल प्रवचनने प्रकाशित कर्यु छे. ढूंकी सहनशक्तिना प्रभावे आवेशग्रस्त आत्माओ माटे आ शब्दो क्षमापान जेवा बनी रहेशे. अप्रकाशित मध्यकालीन साहित्यनी कृतिस्थानमां आ वखते वस्तुपाल-तेजपाल संबंधी अद्यावधि अप्रगट एक लघु कृति 'अज्ञातकतृक वस्तुपाल - तेजपाल छंद' For Private and Personal Use Only
SR No.525289
Book TitleShrutsagar Ank 040
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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