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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मई - २०१४ प्राकृतिक जडी-बूटियों के साथ रखना, वर्षात के समय में ग्रन्थों को बाहर नहीं निकालना, वर्ष में एक बार हल्की धूप में ग्रन्थों को रखना आदि। भारतीय कला-साहित्य एवं संस्कृति को सुरक्षित रखने और इसकी निरन्तरता को बनाए रखने में तीर्थक्षेत्रों, मन्दिरों, साधु-साध्वियों, विद्वानों, गुरुकुल, शिक्षण संस्थानों तथा व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर किये गये प्रयत्नों तथा स्वाध्याय, प्रवचन, शास्त्र-सभाओं, शास्त्र-भण्डारों आदि की अहम् भूमिका रही है। किन्तु इन प्रयत्नों के उपरान्त भी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व की बहुत-सी अमूल्य धरोहर उचित संरक्षण एवं रख-रखाव के अभाव में यत्र-तत्र बिखरी हुई है। हमारी महत्त्वपूर्ण मूर्तियाँ, दुर्लभ ग्रन्थ व कलात्मक-सामग्री उचित एवं वैज्ञानिक संरक्षण के अभाव में नष्ट हो रही है। ऐसे समय में हमारा कर्त्तव्य है कि हमारी कला एवं संस्कृति की अमूल्य धरोहर स्वरूप विरासत को सुरक्षित एवं संरक्षित करके भावी पीढी को हस्तान्तरित कर अपने पूर्वजों की परम्परा को बचाए रखें और पितृ-ऋण से ऊर्ण हों। आज से लगभग दोसौ वर्ष पूर्व महाराजा सयाजीराव तृतीय के समय में वडोदरा के ज्ञानभण्डार में पाण्डुलिपियों को रखने हेतु ग्रन्थागार में अलमारियों का अभाव था तब महाराजा ने आदेश दिया कि 'आभूषणों को रखने हेतु जो अलमारियाँ राजदरबार में हैं उन्हें खाली करके उनका उपयोग मूल्यवान हस्तप्रतों को सुरक्षित रखने हेतु किया जाये। __पूर्वाचार्यों एवं विशिष्टकोटी के श्रुतधरों द्वारा आलेखित महती श्रुतसंपदा को सुरक्षित एवं संरक्षित रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है. इस श्रुतसंपदा का संरक्षण के साथ संवर्धन एवं प्रकाशन होता रहे इसी मंगलकामना के साथ... धन्यवाद! संदर्भ ग्रन्थ १. भारतीय प्राचीन लिपिमाला, लेखक-रायबहादुर गौरीशंकर हीराचंद ओझा । २. जैन श्रमणसंस्कृति अने लेखनकला, लेखक-मुनिश्री पुण्यविजयजी म.सा.। ३. प्राचीन भारतीय लिपि एवं अभिलेख, लेखक-डॉ. गोपाल यादव । ४. भारतीय प्राचीन लेखनकला और उसके साधन, हिंदी अनुवाद-डॉ. उत्तमसिंह । ५. हस्तप्रत विज्ञान, लेखक-डॉ. जयन्त पी. ठाकर। ६. हस्तप्रतोने आधारे पाठसंपादन, लेखक-डॉ. हरिवल्लभ चुनीलाल भायाणी । ७. संस्कृत पांडुलिपिओ अने समीक्षित पाठसंपादन विज्ञान, लेखक-डॉ. वसन्तकुमार भट्ट। For Private and Personal Use Only
SR No.525289
Book TitleShrutsagar Ank 040
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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