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पुस्तक परिचय
डॉ. हेमंत कुमार
पुस्तक नाम जैनों का संक्षिप्त इतिहास दर्शन व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार लेखक नाम श्री छगनलाल जैन, डॉ. संतोष जैन एवं डॉ. तारा जैन
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प्रकाशक नाम - राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राजस्थान )
आवृत्ति
प्रथम,
प्रकाशन वर्ष - २०१३ मूल्य - ४००/- पृष्ठ
२८०, भाषा हिन्दी एवं अंग्रेजी
भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री छगनलाल जैन एवं उनकी पुत्रियों डॉ. संतोष जैन एवं डॉ. तारा जैन द्वारा लिखित जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार नामक पुस्तक में नवीनतम् खोजों के अनुसार यह सिद्ध किया है कि विज्ञान एवं जैनधर्म-दर्शन एक दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि सहयोगी हैं. उन्होंने अनेक तथ्यों के आधार पर यह साबित करने की कोशिश की है कि जैनधर्म मानवधर्म बनने की पूरी योग्यता रखता है.
श्री जैन ने अपने शोधपूर्ण लेखों को चार भागों में विभक्त कर इस पुस्तक के नाम में प्रयुक्त चारों विषयों को बड़े ही विवेचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है. प्रथम भाग में इतिहास से संबंधित लेखों में जैनों के इतिहास की रूपरेखा, जैन जातियों का वर्णन, भगवान महावीर का जीवन चरित्र आदि का सुन्दर वर्णन किया गया है. दूसरे भाग में जैन दर्शन के विभिन्न विषयों से संबंधित लेखों में नमस्कार महामंत्र, तत्त्वार्थसूत्र, प्रतिक्रमणसूत्र आदि का वर्णन किया गया है. तीसरे भाग में जैन आचार से संबंधित विभिन्न लेखों के माध्यम से साम्प्रदायिकता, सुसंस्कार, अनेकान्तवाद, शाकाहार, अहिंसा आदि का तथ्यपूर्ण विवेचन किया गया है. अन्त के चौथे भाग में जैन दर्शन एवं विज्ञान कहाँ तक समकक्ष, आगे या पीछे हैं, वर्तमान विश्व के लिए इन दोनों की एक-दूसरे के पूरक रूप में कितनी आवश्यकता है इत्यादि का शोधपूर्ण उल्लेख किया गया है.
विज्ञान कि नए खोजों के आधार पर यह निश्चय पूर्वक कहा जा सकता है कि जैन दर्शन के हजारों वर्ष पूर्व घोषित सृष्टि के रचयिता, रचना, अणु-परमाणु, अनेकांत, जीव विकास आदि के सिद्धांत आज का विज्ञान मानने को बाध्य हुआ है. अनेक ऐसे साक्ष्य हैं जिनके आधार पर यह सिद्ध होता है कि हजारों वर्ष पूर्व जैन दर्शन ने जिन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया था वह पूर्णतः वैज्ञानिक था.
श्री जैन ने अपने विभिन्न लेखों के द्वारा यह सिद्ध कर दिया है कि मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है. जैन दर्शन की ऐतिहासिक उपलब्धियों के बारे में सामान्य लोग अनभिज्ञ हैं, इस पुस्तक के माध्यम से उनके समक्ष अपनी उपलब्धी एवं प्रामाणिकता सिद्ध करने हेतु अनेक तथ्य प्राप्त किए जा सकते हैं. अतः कहा जा सकता है कि यह पुस्तक वर्तमान विश्व में जैन दर्शन की सार्थकता सिद्ध करने में सफल हुआ है.
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