SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - ३८-३९ महाराजे कर्तुं छे के : ज्ञानमेव बुधा-प्राहुः कर्मणां तपनात् तपः । तदाऽभ्यन्तरमेवेष्टं, बाह्यं तदुपबृंहकम् ।।' कर्मने तपावे-बाळे ते तप. मुख्यपणे ज्ञान ज कर्मने बाळतुं होई पंडितो ज्ञानने ज तप कहे छे. बाह्य अने अभ्यंतर ए बेमां मुख्यतया अभ्यंतर तप ज तपरूपे इष्ट छे. बाह्य तप तो अभ्यंतर तपनी पुष्टि-वृद्धि करनार होवाथी तप रूपे इष्ट छे. छ प्रकारना अभ्यंतर तपमां पण स्वाध्यायनी महत्ता अधिक बतावी छे. आथी ज कह्यु छे के : वारसविहम्मि वि तवे, सब्भिंतरबाहिरे कुशलदिढे । नवि किंचि अस्थि होही, सज्झायसमं तवो कम्म ! IP 'जिनेश्वरोए बतावेला बाह्य अने अभ्यंतर तपना बार भेदोमां स्वाध्याय समान कोइ तप नथी, अर्थात् बारे प्रकारना तपमा स्वाध्याय रूप तप सर्वश्रेष्ठ छे.' । निर्जरा : स्वाध्यायथी पूर्वे बंधायेला अशुभकर्मोनी निर्जरा थाय छे. जो के जैनशासनमां उपयोगपूर्वक करेला कोइ पण अनुष्ठानथी निर्जरा थाय छे. तेम छतां तपथी विशेष निर्जरा थाय छे अने तपमां पण स्वाध्यायथी विशेष निर्जरा थाय छे. कारण के स्वाध्यायथी त्रणे योगनी शुद्धि थाय छे. स्वाध्याय रूप योगमां विशेष कर्मो खपावे छे. स्वाध्यायमां वर्ततो जीव मनोगुप्ति, वचनगुप्ति अने कायगुप्ति ए त्रण गुप्तिओथी युक्त थतो होवाथी प्रत्येक समये ज्ञानावरणीय कर्मने खपावे छे, अने क्षणे क्षणे वैराग्यने पामे छे. परबोध : स्वाध्यायथी बीजा जीवोने बोध पमाडी शकाय छे. स्वाध्याय करीने ज्ञानी बनेलो जीव बीजा जीवोने धर्मोपदेशथी धर्म पमाडी शके. सर्व धर्मोमां परोपकार धर्म उत्तम छे. सर्व परोपकारोमां धर्मोपदेश रूप परोपकार श्रेष्ठ छे. स्वाध्यायथी धर्मोपदेशरूप परोपकार करवानो अमूल्य लाभ प्राप्त थाय छे शास्त्रमा बतावेला परबोधथी (बीजाने ज्ञान आपवाथी) अनेक लाभो प्राप्त थाय छे. तपश्चर्याना प्रभावथी अनेक प्रकारनी सिद्धिओ प्राप्त थाय छे. के जेने शास्त्रीय परिभाषामां लब्धि कहेवामां आवे छे. विष्णुकुमार मुनिने आकरी तपश्चर्याना प्रभावथी अनेक प्रकारनी लब्धिओ प्राप्त थई हती. आ प्रमाणे स्वाध्याय तपथी १. तप करीए भवजल तरीए : पृ. २८१, २. १. तप करीए भवजल तरीए : पृ. २८२ For Private and Personal Use Only
SR No.525288
Book TitleShrutsagar Ank 038 039
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy