SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय श्रुतसागरनो ३८मो अंक आपना हाथमा छे. तीर्थ बे प्रकारना होय छे स्थावर अने जंगम.. स्थावर एटले स्थिर, अचल, एनुं सरनामुं एक ज होय... अने जंगम एटले विचरता, चल, एमनुं कोई सरनामुं नथी होतुं... कारण के सदाय वहेता होय छे. विचरता होय छे. आ बन्ने तीर्थो माटे आपणे गौरव लई शकीए एवी विशिष्ट कोटिनी उत्तम संपदा आपणने प्राप्त थई छे. स्थावर तीर्थ एटले आपणे जेनी पासे जईने पवित्रतानो पुनित स्पर्श पामी शकीए एवा परम तीर्थो... जे देशना विविध राज्यो अने प्रदेशोमां पोताना पुनित परमाणुओथी आपणने श्रद्धाथी परिप्लाक्ति करे छे. ज्यारे जंगम तीर्थ एटले जिनशासनना अणगार एवा पूज्य श्रमण-श्रमणी भगवंतो... जे देशना विविध प्रदेशोमां विचरीने स्वात्मकल्याणनी साथे-साथे आनुषंगिक भावे परात्मकल्याणमय करी पोतानुं जीवन निर्वाह करे छे. आ बन्ने तीर्थो आपणी आध्यात्मिक उन्नतिना मूळभूत कारणरूप छे. आ बन्ने तीर्थनी सेवा अने तीर्थनी उपासना जीवनमा अनेरो आनंद आपी जाय छे तो, आ बन्ने तीर्थनी करेली आशताना परंपराए जिनशासननी आशातना सुधी लई जाय छे. आ वास्तविकताने सामे राखी तीर्थनी आशातना न थाय एनी तकेदारी राखवी जोईए... आ अंकनी वात __ आपणा व्यवहारमा धर्मनी आवश्यकता अने उपयोगिता समजाय अने जीवनमां धर्म अने धर्ममां जीवन वधु ने वधु उमेराय ए माटे आ अंकमां पूज्य गुरुभगवंतश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. ए आपेल प्रेरक प्रवचनने अत्रे प्रकाशित कर्यु छे. मुंबईथी ज्ञानमंदिरना नियमित वाचक श्री भानुबेन तरफथी मळेल बारमासा साहित्यनी बे अप्रकाशित कृतिओ अत्रे प्रकाशित करी छे. कृति परिचय अने प्रस्तावनामां बारमासा साहित्य अने मध्यकालीन काव्यकलापो विशे अपायेलो परिचय वाचकोने उपयोगी बने एवो छे. आ अंकमां दर अंकनी जेम आ वखते जैन सत्यप्रकाशमाथी आगमप्रभाकर पू. मुनिमहाराज श्री पुण्यविजयजी म. सा. द्वारा लिखित मलयगिरिसूरिजी म. सा, अने एमना द्वारा रचायेल शब्दानुशासन उपर प्रकाश आपतो अभ्यासपूर्ण लेख For Private and Personal Use Only
SR No.525288
Book TitleShrutsagar Ank 038 039
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy