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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० फरवरी - २०१४ श्रीमहावीरमोटो धणी रे, त्रिजगनायक देव । सीहलंछन पद तले वसे रे, प्रभुने पुजे नितमेव ।।८।। चतुरनर वंदो... श्रीकुंथुजिणेसर जगजयो रे, प्रणमु तेहना पाय । छाग लंछन पाए सदा रे, गजपूरी नयरीनो राय ।।९।। चतुरनर वंदो... नयरी वाराणसीनो धणी रे, श्रीशंखेश्वरपास । सत्तरभेद पूजा रसो(चो) रे, मन धरी परम उल्लास ||१०||चतुरनर वंदो... श्रीगोडीजीना गुण गावता रे, पातिक दूर पलाय । लंछन नाग पाए वसे रे, नीलवरण प्रभु काया ।।११।। चतुरनर वंदो.. श्रीऋषभदेव गुण राजीयो, चतुर्मुख प्रासाद | तेहने पूजो तुमे प्रांणीया रे, छोडीने परमाद ।।१२।। चतुरनर वंदो.. सोलमा श्रीजिनशांतिजी रे, एह सम अवर न कोय । मृगल(लं)छन महिमा घणो रे, देख्यं दोलि(ल)त होय ।।१३।। चतुरनर वंदो... वली प्रणमो भवी प्रांणीया रे, जीराउलो जिनराज | श्रीशिवपुरी नास(थ) थ(त)ने रे, महेर करे माहाराज ।।१४।। चतुरनर वंदो... श्रीआदिज(जि)नना प्रासादमें रे, श्री पद्मप्रभु जिनराय । सर्वथा तुमे सोहामणी रे, जेहने पूज्या जस थाय ।।१५।। चतुरनर वंदो... श्रीअजितना आगारमें रे, श्रीचिंतामणी पास । जे भवी(वि) पूजें बहु प्रेमसु रे, तेहने द्ये अमरविलास ||१६|| चतुरनर वंदो... ए पनरे प्रासाद जिनवरतणा रे, सीवपूरीनयरी मझार | जन भेटो भावस्यु रे, ज्युं पामो सुख श्रीकार ।।१७।। चतुरनर वंदो.. श्रीअमीवी(वि)बुध गुणराजीयो रे, तत्सीस वी(वि)नोद नाम । तेह तणो सुपसाउले रे, तीर्थंकर परणाम ।।१८।। चतुरनर वंदो श्रीजिनदेव, सारो प्रभुनी सेव... ॥इति श्रीशिवपुरीजिन तीरथमाला स्तवन संपूरणं ।। For Private and Personal Use Only
SR No.525287
Book TitleShrutsagar Ank 2014 03 037
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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