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संपादकीय श्रुतसागरनो ३६मो अंक आपना हाथमां छे.
श्रुतसागरने आ अंके त्रीजुं वर्ष पुरूं थाय छ, त्रीजा वर्षनो आ छेल्लो अंक आपश्रीना हाथमां छे.
केटलांक पर्वो चिरस्थायी होय छे. उगीने आथमी जवु ए एमनो स्वभाव नथी. शाश्वत अने ध्रुवनो नाद आवा पर्वोमां धबकतो होय छे. आकुंज पर्व एटले बुद्धिसागरसूरि महाराजनी आचार्यपद शताब्दि अने कैलाससागरसूरि महाराजनी जन्म शताब्दिनु पर्व.
चामडी उतारीने चप्पल बनावो तो य जेना उपकारमाथी छुटी शकाय नहि एवा गुरुतत्त्वना उपकारोनी स्मृत्तिने आ वर्ष समर्पित छे. आ पूज्यवर्योए जिनशासननी अने श्रुतरक्षानी अप्रतिम अने प्रबळ सेवार्नु सेवेलुं सपना साक्षात्कार एटले ज आ ज्ञानमंदिर...
योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी म. सा. धार्मिक गद्यसंग्रह अने पत्रसदुपदेश पुस्तकमां लाईब्रेरी विशे लखायेली वात ज्ञानमंदिर माटे आजे सत्यरूपे अनुभवाय छ, एमां कोई शंकाने स्थान नथी. आ अंकमी वात:
पू. गुरुभगवंतश्रीना प्रवचनोंमांथी चूंटेला केटलांक सुविचारोने गुरुवाणी हेठळ प्रकाशित कर्या छे. तो पू. मुनिभगवंतश्री सुयशचंद्रविजयजी म. सा. प्रकाशन अर्थे पाठवेली कृति 'नटरागमां लोगस्सभावनुं स्तवन' अत्रे प्रकाशित करी छे. आ स्तवन श्रुतसागरना माध्यमे प्रायः सौ प्रथम प्रकाशमां आवी रह्यं छे.
जैन सत्यप्रकाशना ८२मां अंकमा प्रकाशित मुनि महाराज श्री कांतिसागरजी म. लिखित अभ्यासपूर्ण लेख 'श्रीमद्देवचंद्रजी और उनकी सचित्र स्नात्रपूजा' अत्रे प्रकाशित कर्यो छे. चोवीश चित्रो अने देवचंद्रजी कृत स्नात्र पूजा पर सारो एवो प्रकाश पाडतो लेख वाचन योग्य होवाथी अत्रे प्रकाशित कर्यो छे.
पद्ममेरुशिष्य कृत आदि जिन स्तवन- प्राथमिक संपादनकार्य श्रीमति प्रज्ञान संधवी द्वारा थयुं छे. प्राथमिक संपादन विगेरे कार्य बाद आ कृति संबंधी केटलीक विशेष विगतो पण उमेरी छे. जे प्रयत्न आवकारदायक बनी रह्यो छे. आईं अप्रकाशित साहित्य वाचकोना स्वाध्यायमा आवता नवा संपादको अने वाचको पण श्रुतना आ क्षेत्रमा लालायित थशे ज ए आशा अस्थाने नथी.
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