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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिसम्बर • २०१३ वाचको माटे मेघवाहन राजानी कथानो सार पण आगामी अंके प्रकाशित करवा भावना छे. जूना मेगेझिन जैन सत्यप्रकाशमाथी मुनिश्री चतुरविजयजी लिखित 'जैन गृहस्थोनी साहित्य सेवा' नामनो लेख अत्रे प्रकाशित कर्यो छे. चोत्रीश जेटला पूर्वकालीन गृहस्थो द्वारा करायेली साहित्यसर्जन अने साहित्यसाधनानो परिचय आ लेखना माध्यमे प्राप्त थाय छे. दर विशेष अंकमां प्रकाशित थाय छे. तेम, आ अंके पण सम्राट् संप्रति संग्रहालयना प्रतिमा लेखो प्रकाशित कर्या छे. तो साथे साथे हस्तप्रतमा उल्लेखित चित्कोशनी विगतो प्रकाशित करती पुष्पिकाओ उतारी छे. जेथी प्राचीन भंडारो अने संगृहीत साहित्य अने चित्कोश अंगे वाचक परिचित थाय. केटलांक समय पहेला पू. केशरसूरिजी समुदायवर्ती मु. श्री प्रियंकरप्रभविजयजी म. सा. तरफथी संपादित केटलीक लघुकृतिओ प्राप्त थई हती, आ कृतिमां एक जय त्वं जगदाधार, जय त्वं परमेश्वर ना आदिपद वाळी आदिजिन स्तुति प्रकाशित होबाथी ए कृति अत्रे फरी प्रकाशित करी नथी. (प्रका. कुंवरजी आणंदजी भावनगर वि. सं. १९९३) बाकीनी कृतिओ प्रायः अप्रकाशित गणीने अत्रे प्रकाशित करी छे. प्रस्तुत अंकना मुखपृष्ठ चित्र पर प्रकाशित धातुप्रतिमा पार्श्वनाथ परमात्मानी छे. लेखनो भाग तद्दन घसाई गयो होवाथी एनी प्रतिष्ठा संवत् विगेरे नोंध आपी नथी. नाकनो भाग थोडो घसाई गयेल छे. आजु-बाजु काउसग्गीया भगवान अने चामरधारी पुरुषो जोवा मळे छे. प्रतिमा कलानी दृष्टिए पण अत्यंत महत्त्वपूर्ण गणाती आ धातु प्रतिमा ११-१२ सदीनी होवानी संभावना व्यक्त थाय छे. परिकरमां जोवा मळती दक्षिणी शैलीनुं अनुकरण अने गादीमां मळती वेल जेवी आकृति विगेरे शिल्पना प्राचीन पुरावा रजू करे छे. टाईटल नं. २-३ उपर नवा वर्षनी कार्तिकीपूर्णिमाए पू. गुरुभगवंतश्रीना आशीर्वादथी सम्राट् संप्रति संग्रहालयने गोल्डन बुक ओफ वर्ल्ड रेकोर्डमां स्थान मळ्यु ए विगतना प्रमाणपत्रो अत्रे प्रकाशित कर्या छे. श्री संघमां चालती संशोधन/ संपादन/श्रुतसेवा जेवी अनेकविध स्वाध्याय प्रवृत्तिमां ज्ञानमंदिर सहायक बनी रह्यु होय त्यारे श्री संघना प्रतापे संस्थाना कार्योनी वैश्विक स्तरे नोंध लेवाय ए आपणा सहु माटे अने खास करीने संस्था माटे आनंदप्रद बीना होई शके. टाईटल नं.४ उपर चित्कोशनी विगतो वाळा हस्तप्रतना पेज प्रकाशित कर्या छे, जे प्रतनी विगतोनी साथे ए काळनी लेखनकळाने पण उजागर करे छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525285
Book TitleShrutsagar Ank 2013 12 035
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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