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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - ३५ [C] दान आपनारना भावने आश्रयीने - श्री स्थानाङ्गसूत्र, धर्मरत्नप्रकरण, उपदेशतरङ्गिणी, दानादिकुलक वगेरे ग्रंथमां दानना जे प्रकार बताव्या छे ते जोता ते दातारना भावने आश्रयीने कह्या होय तेवुं लागे छे. जेना नाम अर्थ नीचे मुजब छे. १७ स्थानांगसूत्र- [ १० प्रकार ] - [१] अनुकंपादान, [२] संग्रहदान, [३] अभयदान, [४] कारुणिकदान, [५] लज्जादान [६] गारवदान, [७] अधर्मदान, [८] धर्मदान, [९] करिष्यतिदान, [१०] कृतदान दानादिकुलक - [ ३ प्रकार] [१] धर्मदान, [२] अर्थदान [३] कामदान. उपदेशतरंगिणी - [५ प्रकार] [१] अभयदान, [२] सुपात्रदान, [३] अनुकंपादान, [४] उचितदान, [५] कीर्तिदान. दानोपदेशमाला - A १५ प्रकार] [१] सुपात्रदान [२] उचितदान [३] अनुकंपादान [४] अभयदान [५] ज्ञानदान तेमज B [३ प्रकार ] [१] सात्विकदान [२] राजसदान [३] तामसदान. धर्मरत्नप्रकरण - [ ३ प्रकार) [१] अभयदान [२] धर्मोपग्रहदान [३] ज्ञानदान दान प्रकारोना अर्थो : [१] अनुकंपादान - रांक, अनाथ, दरिद्र, कष्टने पामेल, रोगथी हणायेल अने शोकथी हळायेल एवा पुरुषने कृपाना अर्थथी जे देवाय ते अनुकंपादान कहेवाय छे. - [२] संग्रहदान - उत्कर्षमां के कष्टमां जे कांई सहाय करवाना भावथी दान अपाय ते संग्रहदान. [३] भयदान राजा, कोटवाल, पुरोहित, मधुमुख, [ मल्ल] अने दंडपाशी [ थोडा अपराधमां भारे शिक्षा करनार एवा पुरुषाने विषे भयने लइने जे दान अपाय ते भयदान. [४] कारुणिकदान- शोकथी अर्थात् पुत्र [ वगेरेना ] वियोगथी उत्पन्न थयेला शोकथी ते पुत्रादि भवांतरमां सुखी थाओ एवी वासांनाथी तेनी ज शय्या वगेरेनुं दान अथवा बीजी वस्तुओनुं दान ते कारुण्यदान. For Private and Personal Use Only [५] लज्जादान - लोकना समूहनी अंदर रहेल पुरुषने बीजाए याचना करी त्यारे बीजा लोकोना चित्तनी रक्षा माटे जे दान आपवुं ते दान लज्जादान कहेवाय. [६] गारवदान - नट, नर्तक, मल्ल वगेरे, संबंधी, बंधु मित्रने जे यशने माटे
SR No.525285
Book TitleShrutsagar Ank 2013 12 035
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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