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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर-३४ कारण छे तेम ज कर्म बाळवा समर्थ छे. (कडी-१) कोइपण स्त्री सारां काममा पोतानी नजीकनी सखीओने बोलावे. अहीं गहुँली करवा माटे बोलावाती सखीओनो आध्यात्मिक संदर्भ सद्बुद्धि तरीके छे अने गुरुनो आध्यात्मिक संदर्भ अनुभव तरीके छे. ____ आत्मानो अनुभव ज सहुथी मोटो गुरु छे. सधवा स्त्री पोतानी सखीओने कहे छे के तमे आवो अने आनंदमां मस्त बनीने अनुभवरूपी गुरुना गुण गाओ. मनरूपी थाळीमां समकितरूपी मोती भरो. कल्याणमित्र गुरुनी साथे रहो. (कडी२) ज्ञानाचार' वगेरे आचार अलंकार जेवा छे. ते नवां नवां अलंकार पहेरो. चूंटण सुधी पहोंचे तेवी संयमनी ओढणी ओढीने आत्मानुभवरूप गुरुना गुण गाओ, संयमनी ओढणी सद्धिनी रक्षा करे छे. (कडी-३) (अहीं कविए प्राचीन मर्यादानो निर्देश कर्यो छे. चूंटण सुधी पहोंचे तेवी ओढणी ओढवाना संस्कारने घाट ओढवो - लाज काढवी एम कहेवाय छे.) तमे तमारी साथे मैत्री, करुणा, मुदिता अने उपेक्षा नामनी चार सहेलीने पण लेता आवजो. आ चार भावना भव्यजीवनो' संयोग पामी उदयमां आवे छे. __ गुरु सामे विविध प्रकारनां वाजित्रो वगडावो. अहीं नयवादने वार्जित्रो कहेवामां आव्यां छे. जेम अनेक अलग-अलग वाजित्रो साथे मळीने संगीत उत्पन्न करे छे तेम पदार्थना अलग अलग अंश बतावता नय साथे मळीने पदार्थनं संपूर्ण दर्शन करावे छे. सधवा स्त्री पोतानी सखीओने कहे छे के तमे नयवादनां वार्जित्रो साथे अनुभवरूपी गुरुना गुण गाओ जे विरतिरूपी सिंहासन पर बेठा छे. अहीं कवि ए कहेवा मांगे छे के-विरति विना आत्मानो अनुभव प्राप्त थतो नथी. सखीओ! आ संसारमा मानवभव, पाँच इंद्रियो, गुरुनो योग वगेरे सामग्री मळवी बहु दुर्लभ छे. तेने सफळ करवानो आ अवसर छे. जो मोक्षमां जq होय तो आ अवसरनो सवायो लाभ लेजो. आ रीते द्रव्यथी कंकु वगेरे द्वारा अने भावथी भक्ति वगेरे द्वारा गहुंली करी जे आत्मानुभवरूपी गुरुना गुण गाय छे ते बहु मोटुं पुण्य बांधे छे. तेनां फळ स्वरूपे ते देवलोकमां अनुत्तर विमाननां सुख अनुभवे छे १. ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार आ पाँच आचारना घणा भेद छे. २. भव्यजीव - मोक्षमां जवाने लायक आत्मा. ३. नय - पदार्थना अनेक अंशमाथी केवळ कोइ एक अंशनुं ज्ञान. ४. अनुत्तरविमान - जैन परिभाषा मुजब सहुथी उंचो देवलोक For Private and Personal Use Only
SR No.525284
Book TitleShrutsagar Ank 2013 11 034
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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