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नवम्बर-१३ इणी परे एह सूत्र आराधतां रे, इणि भव सीझे वंछीत काज रे । परभव विनयचंद्र कहे ते लहे रे, मोहन मुगतिपुरीनो राज रे ॥पं. ७ ॥१
गुरुगुण गहुंली : कर्ता बीजी कृति नाम विनानी छे छतां तेना विषय प्रमाणे तेने गुरुगुण गहुँलीना नामे ओळखीशु. आ कृतिना कर्ताए पोतानुं नाम आनंदघन जणाव्युं छे. पण तेओ चोवीसी अने पदोना कर्ता तरीके प्रसिद्ध आनंदघनजी होय तेवी संभावना ओछी छे. चोक्कस विगतो न मळे त्यां सुधी तेमने अज्ञात मानवा ज उचित कहेवाशे.
गुरुगुण गहुंली : परिचय आ गहुँली मंगलगीत स्वरूप छे. तेमां सहज रीते अध्यात्मना भावो गुंथी लेवामां आव्या छे. तेमा प्रधानपणे गुरुना माध्यमथी आत्माना शुद्ध स्वरूपनी प्राप्ति, निरूपण छे. गुरुना सत्कारमा जे व्यक्ति जोडाय छे अने जे सामग्री वपराय छे ते बन्नेनो अहीं आध्यात्मिक संदर्भ विचारवामां आव्यो छे.
आ गहुंलीमां एक सधवा स्त्री बीजी सधवा स्त्रीने गुरु समक्ष गहुंली करवानुं आमंत्रण आपी रही छे. ते कहे छे के - सौभाग्यवती स्त्रीओ ! तमे सहु अहीं आवो अने साथियो पूरो. भक्तिरागर्नु कंकु घोळो'. तेमां शुभध्याननु बरास मेळवो. साथियो करी नरभवनो लाभ लो. ___ अहीं साथियो करवामां कंकु अने बरास द्रव्यनो उल्लेख थयो छे ते बतावे छे के ते समये गुरुनी सामे गहुँलीमां कंकु, बरास, केसर जेवां मंगल द्रव्यो पाणीमां भेळवी तेनो साथियो करवामां आवतो हशे. हाल केवळ चोखाथी साथियो करवामां आवे छे ते प्रथा कदाच ते समयमा प्रचलित होय के न पण होय. साथियो करवामां वपरातां द्रव्योतुं आध्यात्मिक अर्थघटन करता कविए भक्तिने कंकुनी अने शुभध्यानने बरासनी उपमा आपी छे. सौभाग्यवती स्त्री माटे कंकु तेना जीवन आधारनु प्रतीक छे. ते तेने मस्तक पर धारण करे छे. कंकनी जेम भक्ति पण जीवननो आधार छे अने सदा शिरोधार्य छे तेम कवि कहेवा मांगे छे. कविए शुभध्यानने बरासनी उपमा आपी छे. केम के बरास सफेद होय छे, ठंडक करे छे अने ज्वलनशील छे. बरासनी जेम शुभध्यान पवित्र छे, समतानुं १. घोळवू - पाणीमां भीजवी एकाकार करवं. २. बरास - कपूर.
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