________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर - ३२ अनुमति प्राप्त कुमारना दीक्षा महोत्सव माटे उत्साहित थयेला जनसमुदायनुं तेमज दीक्षा प्रसंगनुं हृदयंगम वर्णन कर्यु छे. दीक्षाकुमारी साथे कुमार देवराजना लग्न थतानी साथे ज मदनराज (कामदेव) पोतानी आज्ञा शिरोधार्य करवानो संदेशो लई यौवन दूतने मोकले छे ते दूतनी अवज्ञा करी मुनि इंद्रनंदिजी स्वाध्यायने समरांगणमां फेरवी नाखे छे. ज्ञानरूपी शिरस्त्राण सीलरूपी बख्तर विगेरे वडे युद्ध माटे सुसज्ज मुनिने परास्त करवा कामदेव पण माया रूपी शिरस्त्राण क्रोध-लोभरूपी अंगरखा विगेरे धारण करी युद्धमेदानमा उतरे छे, युद्ध माटेनी तैयारीनुं आ वर्णन अने मदनरायना पराजयनुं रोचक वर्णन कविए ६३ थी ७९ नं. ना पद्योमा कर्यु छे. जो के मुनि इंद्रनंदिना जीवनमा आq कोई युद्ध थयु ज नथी परंतु मुनिश्रीना चारित्रवैभवने बताडवा ज कविए आ कल्पनाने स्थान आपी युद्धनो प्रसंग अहिं रजू को छे. कृतिमा ऐति. कही शकाय तेवी मुनिश्रीना पंडितपद, आचार्यपद, महोत्सव करावनारा आदिनी महत्वपूर्ण नोंधो कविए ८० थी ८७ नं. ना पद्योमा गुंथी छे. छेल्ली त्रण ढाळोमां सूरिजीना अन्य सामान्य गुणोनी स्तुति करी काव्यांते कृति रच्यानी संवत, स्थान अने पोताना गुरूभगवंतना नामोल्लेखपूर्वक कृतिनुं समापन करे छे. कृतिकार परिचय :
कृतिकार कोण छे तेनो काव्यमां कशो ज उल्लेख नथी परंतु कृतिनी १००मी गाथामां कविए 'सीसलेस' पद मुकी ते वातनो कंइक आछो निर्देश कर्यो होय तेम जणाय छे कवितुं नाम अज्ञात छे छतां तेओ इंद्रनंदिसूरिजीना ज शिष्य हशे तेवू अनुमान थाय छे. भावानंद पंडित (उपाध्याय)जीना सानिध्यमां कृति रची होय तेथी तेमने पण वंदना करी होय तेम वधु संभवित छे. छता आ अंगे विद्वानो वध प्रकाश पाडे तेवी आशा छे. प्रत परिचय :
प्रस्तुत कृतिनी हस्तप्रत लालाभाई दलपतभाई विद्यामंदिरना संग्रहमा नं. २४६६मां सचवाएली छे. त्रण पानामां कंइक अंशे मरोडदार अक्षरोमां कृतिनुं आलेखन थयुं छे. दरेक पत्रमा प्रायः १३ लीटीओमां छे. लेखन उपरथी ने प्रायः १६मी सदीमां ज लखाई होवानुं अनुमान करी शकाय संपादनार्थे कृतिनी हस्तप्रत आपवा बदल संस्थाना व्यवस्थापक श्री जीतुभाई पंडितजीनो खूब खूब आभार.
For Private and Personal Use Only